बिहार में इन बागी उम्मीदवारों ने उड़ाई NDA और INDI गठबंधन की नींद, जानें कैसे पहुंचा सकते हैं बड़ा नुकसान?

Bihar News: अररिया में शत्रुघ्न मंडल के निर्दलीय मैदान में उतरने से एनडीए उम्मीदवार प्रदीप सिंह की परेशानी बढ़ी हुई है. वहीं सीवान में हीना शहाब चुनावी मैदान में है जिसने महागठबंधन और एनडीए दोनों के जातीय समीकरण में सेंघ लगा रखी है और मुक़ाबला त्रिकोणीय बना लड़ाई रोमांचक बना रखा है.

बिहार में लोकसभा चुनाव के दो चरण का चुनाव खत्म हो चुका है. अभी पांच चरणों का चुनाव बाकी है जिसे अपने पाले में करने के लिए एनडीए और महागठबंधन ने पूरी ताकत झोंक रखी है. लेकिन, इस बार लोकसभा चुनाव की लड़ाई को बागी उम्मीदवार दिलचस्प बना रहे हैं, जिनके मैदान में उतरने से दोनों गठबंधन के उम्मीदवारों की परेशानी बढ़ी हुई है. बागी उम्मीदवारों को मनाने की कोशिश भी की जा रही है. लेकिन, बागी है कि मानते ही नहीं है और पूरी ताकत से ताल ठोक रहे हैं.

बिहार में इसकी शुरुआत पूर्णिया से हुई जब निर्दलीय पप्पू यादव ने मैदान में उतारकर एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवार की चिंता बढ़ा दी है. चुनाव के बाद जो चर्चाएं है, उसके बाद तो जदयू और आरजेडी उम्मीदवार अधिक परेशानी बताए जा रहे हैं. बता दें, महागठबंधन की ओर से पप्पू यादव को बिठाने के लिए पूरी कोशिश की गई. लेकिन, पप्पू यादव अड़े रहे और चुनाव को रोमांचक बना दिया

पप्पू यादव अकेले ऐसे निर्दलीय नेता नहीं है जिन्होंने अपनी उम्मीदवारी से दोनों गठबंधन के उम्मीदवारों की चिंता बढ़ा दी है. कई और ऐसे निर्दलीय उम्मीदवार हैं, जिन्होंने अपनी उम्मीदवारी से एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवारों की परेशानी बढ़ा रखी है. झंझारपुर लोकसभा सीट से बसपा के टिकट पर गुलाब यादव ने महागठबंधन के उम्मीदवार की बेचैनी बढ़ा रखी है और आरजेडी के MY समीकरण में सेंघ लगाने की कोशिश कर रहे हैं.

बढ़ी प्रदीप सिंह की परेशानी

वहीं अररिया में शत्रुघ्न मंडल के निर्दलीय मैदान में उतरने से एनडीए उम्मीदवार प्रदीप सिंह की परेशानी बढ़ी हुई है. वहीं सीवान में हीना शहाब चुनावी मैदान में है जिसने महागठबंधन और एनडीए दोनों के जातीय समीकरण में सेंघ लगा रखी है और मुक़ाबला त्रिकोणीय बना लड़ाई रोमांचक बना रखा है. वहीं महाराजगंज में रणधीर सिंह भी निर्दलीय चुनावी मैदान में है जो आरजेडी से टिकट लेना चाहते थे. लेकिन, टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर कर बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवार की बेचैनी बढ़ा रखी है.

पवन सिंह को लेकर भी हलचल तेज

वहीं सबसे चर्चित निर्दलीय उम्मीदवार काराकाट से पवन सिंह है जिनके चुनाव मैदान में उतरने से सियासी हलचल काफी तेज है जो बीजेपी से टिकट चाहते थे. लेकिन, जब टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय ही ताल ठोक रखा है और उपेन्द्र कुशवाहा को परेशान कर रखा है. वहीं बक्सर सीट भी काफी चर्चा में है, जहां से सीटिंग सांसद अश्वनी चौबे का टिकट कट गया और उनके जगह बीजेपी ने मिथिलेश तिवारी को उतारा है जबकि रेस में आईपीएस की नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ने की इच्छा पाले आनंद मिश्रा भी है जो बीजेपी से टिकट चाहते थे लेकिन जब टिकट नहीं मिला उन्होंने निर्दलीय मैदान में उतर बीजेपी की परेशानी बढ़ा रखी है.

अरुण कुमार भी मैदान में

वहीं जहानाबाद से बसपा के टिकट पर अरुण कुमार मैदान में है जो एलजेपी आर से टिकट चाहते थे. लेकिन, जब टिकट नहीं मिला तो पार्टी छोड़ कर बसपा में शामिल हो गए और मैदान में है. इसके अलावा अभी और कुछ नाम है जो निर्दलीय मैदान में उतरने की कोशिश में लगे हुए है, जो एनडीए या महागठबंधन उम्मीदवार की बेचैनी बढ़ा सकते हैं.

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