भागलपुर से जदयू सांसद अजय मंडल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना त्यागपत्र सौंपते हुए कहा कि टिकट बंटवारे में उनकी राय नहीं ली गई. सांसद का कहना है कि वे पिछले 10 दिनों से मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी.
अजय मंडल ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पार्टी में अब उनकी बात नहीं सुनी जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि टिकट बंटवारे के दौरान उनकी कोई सलाह नहीं मानी गई और फैसले एकतरफा लिए जा रहे हैं. इसी से नाराज होकर उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया.
अजय मंडल का इस्तीफा
सूत्रों के मुताबिक, अजय मंडल काफी समय से पार्टी नेतृत्व से असंतुष्ट थे. वे संगठन में अपने योगदान और क्षेत्रीय मुद्दों पर अपनी राय को नजरअंदाज किए जाने से नाराज थे.
भागलपुर के जदयू सांसद अजय मंडल ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि वे 2019 में सांसद बने थे और उस वक्त पूरे बिहार में हुए उपचुनावों में उनकी अगुवाई में उनकी सीट पर जीत दर्ज हुई थी. उन्होंने लिखा कि यह जीत जदयू और जनता दोनों के विश्वास का नतीजा थी.
कमजोर हो रहा संगठन
मंडल ने कहा कि आज पार्टी के कुछ लोग उनके ही लोकसभा क्षेत्र में टिकट बांटने का काम कर रहे हैं, जिससे संगठन कमजोर हो रहा है. उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि न तो उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने दिया जा रहा है और न ही उनकी राय सुनी जा रही है.
सीएम पर पड़ेगा असर
उन्होंने आगे लिखा कि जब पार्टी में समर्पित कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं की राय का कोई महत्व नहीं रह गया है, तो ऐसे में आत्मसम्मान बनाए रखना जरूरी हो गया है. इसलिए सांसद पद पर बने रहना अब उनके लिए उचित नहीं है. अजय मंडल ने कहा कि उनका इस्तीफा किसी नाराजगी या विरोध का प्रतीक नहीं है, बल्कि संगठन के हित में उठाया गया कदम है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर पार्टी अपने समर्पित कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करती रही, तो इसका असर सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व पर पड़ेगा.

