बिहार चुनाव से पहले लालू यादव और चिराग पासवान की इफ्तार पार्टियों ने सियासी माहौल गरमाया. चिराग की पार्टी में एनडीए का समर्थन दिखा, जबकि लालू की पार्टी में महागठबंधन की दरार स्पष्ट हुई.
इस साल सितंबर-अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इफ्तार पार्टियों ने सियासी माहौल को गरमा दिया है. सोमवार को लालू प्रसाद यादव और चिराग पासवान ने इफ्तार पार्टियों का आयोजन किया. इन पार्टियों से कई सियासी संकेत मिले. चिराग की पार्टी में एनडीए का पूरा कुनबा मौजूद था. वहीं लालू की पार्टी में महागठबंधन के भीतर का दरार स्पष्ट तौर पर देखा गया. बिहार में करीब 17 फीसदी मुस्लिम आबादी है. ऐसा माना जाता है कि मुस्लिम वोट बैंक पर राजद का सबसे तगड़ा प्रभाव है.
चिराग की इफ्तार पार्टी से निकले संकेत
चिराग पासवान की इफ्तार पार्टी में एनडीए के कई बड़े नेता शामिल हुए. इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे. उनके साथ बिहार के दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा भी शामिल हुए. इसके अलावा बीजेपी और जेडीयू के कई बड़े नेता भी वहां मौजूद थे. इनमें बीजेपी के वन मंत्री प्रेम कुमार, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और कई विधानसभा व विधान परिषद के सदस्य शामिल थे. जेडीयू से विजय चौधरी और अशोक चौधरी जैसे नेता भी मौजूद रहे.
मन का मुटाव हुआ दूर
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान केंद्रीय मंत्री हैं. उनके आयोजन में नीतीश कुमार का आना बड़ी बात थी. एनडीए के भीतर नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच अदावत किसी से छिपी नहीं है. 2020 के विधानसभा चुनाव ने इस दरार और चौड़ा कर दिया था. उस चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश की खिलाफ अभियान चलाया था. उन्हें खुद को पीएम नरेंद्र मोदी का हनुमान बताकर राज्य में नीतीश की पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ा. इस कारण विधानसभा चुनाव में जेडीयू को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. वह तीसरे नंबर की पार्टी बन गई और उसके केवल 46 उम्मीदवार विधायक बन सके. नीतीश की ताकत में यह कमी बिहार की राजनीति में उलट-पलट कर रख दिया. सरकार पर अपनी पकड़ ढीली पड़ने की वजह से नीतीश कभी आरजेडी और तभी एनडीए के पाले में आते-जाते रहे.खैर ने इस इफ्तार पार्टी में मन के मुटाव को खत्म करने की कोशिश हुई. नीतीश कुमार खुद आए. हालांकि उन्होंने इस मौके पर बहुत ज्यादा बातें नहीं की.
लालू की इफ्तार पार्टी
दूसरी तरफ लालू यादव ने भी इफ्तार का आयोजन किया. इसमें कांग्रेस और वीआईपी पार्टी के बड़े नेता शामिल नहीं हुए. बीते कुछ समय से बिहार कांग्रेस के आक्रामक रुख अपनाने की वजह से महागठबंधन में एक अदृश्य दरार दिख रही है. बीते 2020 के चुनाव में महागठबंधन के तहत कांग्रेस पार्टी ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था. लेकिन, उनकी जीत का प्रतिशत महागठबंधन में सबसे खराब था. ऐसे में राजद की ओर से ऐसे भी बयान < आए कि कांग्रेस को इतनी सीटें देने की वजह से महागठबंधन बहुमत से दूर रह गया. वरना आज तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री होते. राजद की इसी राय ने 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई. राजद ने कांग्रेस के दावे वाली सीटों पर अपना उम्मीदवार उतार दिया. अब बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजद और कांग्रेस की बीच की दूरी इफ्तार पार्टी में भी दिखी. दोनों पार्टियां सीट बंटवारें में दबदबा कायम करने के लिए अभी से कमर कस रही हैं.
इस इफ्तार में वीआईपी के मुकेश सहनी भी शामिल नहीं हुए, जबकि बीते लोकसभा चुनाव में वह महागठबंधन के स्टार प्रचारक थे. वह तेजस्वी यादव के साथ हेलीकॉप्टर में सफर करते और चुनाव प्रचार करते थे. लेकिन, इस बार इफ्तार में दूरी कहीं न कहीं मन में दूरी को दिखाता है.

