बड़हिया वैसे तो पहलवानों, रसगुल्लों और माँ त्रिपुर सुंदरी के मंदिर की वजह से जाना जाता रहा है।लेकिन इस बार चर्चा कुछ और है।
बड़हिया को जैसे ही नगर परिषद का दर्जा मिला यहां चुनाव का तरीका ही बदल गया। अब यहां आम जनता अपना प्रतिनिधि से लेकर अध्यक्ष चुन सकती है।
26 वार्डों में सुबह से ही लोग कतारों में खड़े होकर अपना वोट डालने आ रहे हैं। परिषद के सभी पदों पर आज एक साथ मतदान किया जा रहा है।
अध्यक्ष पद के लिए अगर बात की जाए तो मुकाबला एक तरफा दिख रहा है। समाजसेवी सुजीत कुमार ने अपनी धर्मपत्नी डेज़ी कुमारी को प्रत्याशी बनाया है। पहले से अध्यक्ष रह चुके और 2 प्रत्याशी उनके सामने दूर दूर तक लड़ाई में नहीं दिख रहे। सुजीत कुमार ने भी बड़ी ही बारीकी से मुद्दे उठाए जैसे जलजमाव, पेय जल, ट्रेनों का पड़ाव, शिक्षा और स्वास्थ्य। उसपर से जैसे ही भ्रस्टाचार का मुद्दा छेड़ा तो विरोधी बगले झांकने लगे।
एक तरफ जहां सुजीत कुमार एक दशक से अपने संसाधनों से लोककल्याण के कार्य करते आ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ पैसों का बंदरबांट और आपराधिक छवि से डराने धमकाने की राजनीति चरम पर थी।
स्थानीय लोगों से जब बात की गई तो एक सुर में कहा गया फैसला तो 11 को आएगा हम सुजीत कुमार के अलावा बाकी सभी उम्मीदवारों को पहले ही मन से उतार चुके हैं। अब तो आप जीत का अंतर देखियेगा।
आरंभिक रुझानों से भी 2 नंबर पर मोटरसाइकिल छाप के लिए आम जनता ने नारे बनाये और बेझिझक वोट डालकर बाकी लोगों को भी साथ देने की अपील करते दिखे।