CJI रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश के DGP ओपी सिंह और मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी को तलब किया है। माना जा रहा है कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के बहुप्रतीक्षित फैसले के पहले तैयारियों की जानकारी लेने के लिए यह बैठक बुलाई गई है। वहीँ दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी आने वाले पर्वों और रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले के मद्देनजर प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों को कानून-व्यवस्था दुरुस्त रखने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश स्तर पर और प्रत्येक जनपद में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित कर तुरन्त संचालित करने के आदेश दिए। ये नियंत्रण कक्ष 24 घण्टे लगातार कार्य करेंगे। योगी ने अयोध्या एवं लखनऊ जनपदों के लिए एक-एक हेलीकॉप्टर की व्यवस्था तत्काल उपलब्ध कराये जाने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि शांति समिति की बैठकों के साथ-साथ समाज के विभिन्न वर्गों, धार्मिक गुरुओं, प्रबुद्धजनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि के साथ संवाद स्थापित किया जाए और बारावफात के जुलूसों का शांतिपूर्ण संचालन सुनिश्चित किया जाए। उन्होने निर्देश दिए कि पर्वों एवं त्योहारों की आड़ में अव्यवस्था और अराजकता पैदा करने वालों को किसी कीमत बख्शा न जाए और समय रहते कार्रवाई की जाए।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर कड़ी नजर बनाए रखने को कहा है। इसके साथ ही अर्धसैनिक बल के 4,000 जवानों को उत्तर प्रदेश भेजा गया है। दूसरी ओर, RPF ने भी अपने सभी कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर 78 महत्वपूर्ण स्टेशनों की सुरक्षा-व्यवस्था का अलर्ट जारी किया है।
गौरतलब है कि सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में इस मामले का फैसला उससे पहले आने की संभावना है। चीफ जस्टिस गोगोई ने तत्काल सुनवाई वाले मामलों से खुद को दूर भी कर लिया है। उन्होंने ऐसे मामलों की सूची अपने पास से हटाकर मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे जस्टिस एसए बोबडे को सौंप दी है। तत्काल सुनवाई वाले मामलों में अयोध्या विवाद के अलावा राफेल डील, सबरीमाला मामला और आरटीआई के दायरे में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय जैसे मामले शामिल हैं।
ऐसे में स्पष्ट है कि अयोध्या विवाद मामले जैसे अतिसंवेदनशील मामले पर फैसला जल्द आ सकता है। इस मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने 16 अक्तूबर को फैसला अपने पास सुरक्षित रख लिया था। इस दौरान CJI गोगोई ने कहा भी था कि अयोध्या पर फैसला लिखने के लिए कम से कम एक महीने के समय की जरूरत होगी।