फ्लिपकार्ट-अमेज़न जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई है। व्यापारियों के अखिल भारतीय संगठन यानी कैट ने आनलाइन कारोबार मंच उपलब्ध कराने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों पर निशाना साधा है। कैट ने इस बार इन कंपनियों, खासतौर से अमेजन और फ्लिपकार्ट पर, उनके मंचों के जरिये बेचे जा रहे उत्पादों पर उनकी वास्तविक कीमत से कम दाम पर जीएसटी वसूलकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। कैट की जारी विज्ञप्ति में ये जानकारी दी गई है। कैट ने इस संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र भेजकर इन कंपनियों की शिकायत की है और वित्त मंत्री से इनके कारोबारी तौर-तरीकों की जांच करने की मांग की है। कैट का आरोप है कि ये कंपनियां अपने पोर्टल के जरिये 10 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत की भारी छूट पर सामान बेचतीं हैं और घटे दाम पर ही सरकार को जीएसटी का भुगतान भी करतीं हैं, जिससे कि सरकार को राजस्व का भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। कैट ने वित्त मंत्री से इन कंपनियों के कारोबारी मॉडल की जांच करने का आग्रह किया है। संगठन ने कहा है की ये जांच जब से देश में जीएसटी लागू किया गया है तब से होनी चाहिए, इस दौरान जितने भी मूल्य का माल इनके पोर्टल पर भारी छूट देकर बिका है, उसके वास्तविक बाजार मूल्य के हिसाब से सरकार को जीएसटी लेना चाहिए। कैट का कहना है कि जीएसटी अधिनियम के तहत सरकार के पास उत्पादों के वास्तविक बाजार मूल्य को निर्धारित करने का अधिकार है। कैट ने कहा कि अगर यह व्यापार के सामान्य व्यवहार में दी जाने वाली छूट है, तो ये स्वीकार्य है, लेकिन कीमतों को कृत्रिम रूप से कम करना और फिर उसपर जीएसटी लगाना एक ऐसा मामला है, जिस पर सरकार को तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है इस मामले में तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिये।
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