Atiq Ahmed and Ahraf Murder: पुलिस को शक है कि इस दोहरे हत्याकांड की साजिश जेल में रची गई. जेल में बंद सजायाफ्ता माफिया के गुर्गों ने ही तीनों शूटर्स को अत्याधुनिक असलहे मुहैया करवाए. इतना ही नहीं तीनों शूटर्स को इस हत्याकांड के बाद बड़ा माफिया बन जाने के सपने दिखाए गए थे. गिरफ्तार होने पर जेल में कोई दिक्कत न होने देने का भरोसा दिलाया गया था. जेल में बंद रहने और पेशी के दौरान तीनों शूटर्स की इस माफिया से दोस्ती हुई थी. उमेश पाल हत्याकांड के बाद से ही तीनों ने अतीक और अशरफ को मारने का प्लान बना लिया था. जिसके बाद से से ही तीनों ने पुलिस कस्टडी रिमांड के दौरान अतीक और अशरफ के आने जाने की रेकी भी की थी.
माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या के बाद पूरा प्रदेश सन्न है. हत्या को अंजाम देने वाले तीनों शूटर्स की क्राइम कुंडली खंगाली जा रही है. प्रयागराज पुलिस, एसटीएफ और क्राइम ब्रांच तीनों से अलग-अलग पूछताछ कर रही है. इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि अतीक और अशरफ की हत्या के पीछे जेल में बंद एक सज़ायाफ्ता माफिया का हाथ है.
पुलिस को शक है कि इस दोहरे हत्याकांड की साजिश जेल में रची गई. जेल में बंद सजायाफ्ता माफिया के गुर्गों ने ही तीनों शूटर्स को अत्याधुनिक असलहे मुहैया करवाए. इतना ही नहीं तीनों शूटर्स को इस हत्याकांड के बाद बड़ा माफिया बन जाने के सपने दिखाए गए थे. गिरफ्तार होने पर जेल में कोई दिक्कत न होने देने का भरोसा दिलाया गया था. जेल में बंद रहने और पेशी के दौरान तीनों शूटर्स की इस माफिया से दोस्ती हुई थी. उमेश पाल हत्याकांड के बाद से ही तीनों ने अतीक और अशरफ को मारने का प्लान बना लिया था. जिसके बाद से से ही तीनों ने पुलिस कस्टडी रिमांड के दौरान अतीक और अशरफ के आने जाने की रेकी भी की थी.
एक आरोपी सुंदर भाटी गैंग से जुड़ा
बता दें कि अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या में शामिल अरुण मौर्य, लवलेश तिवारी और रोहित उर्फ़ सनी का आपराधिक इतिहास भी सामने आ रहा है. इनमें से रोहित और सोनू सुंदर भाटी गैंग का सदस्य बताया जा रहा है और उस पर 13 से अधिक आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं. वहीं अरुण मौर्य पर भी एक जीआरपी जवान के हत्या का आरोप लग चुका है. फ़िलहाल इस पूरे मामले में तीन बजे पुलिस प्रेस कॉन्फरेंस कर पूरा खुलासा करेगी.
माफिया बनना चाहते थे तीनों
FIR के मुताबिक तीनों ने पुलिस को बताया है कि वे इस हत्याकांड के बाद प्रदेश में अपने आप को माफिया के तौर पर स्थापित करना चाहते थे. इसके लिए वे कई दिनों से अवसर की तलाश में भी थे. तीनों ने कहा कि उनका प्लान हत्याकांड को अंजाम देने के बाद भागने का था, लेकिन पुलिस की मुस्तैदी की वजह से वह फरार नहीं हो सके.