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IPS पूरन कुमार के परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए सड़कों पर उतरी आप पार्टी, उठाया ये बड़ा कदम

आम आदमी पार्टी पंजाब में दलित IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार को इंसाफ दिलाने की लड़ाई को जनआंदोलन में बदलने की दिशा में आगे बढ़ चुकी है. परिवार को न्याय न मिलने और हरियाणा की बीजेपी सरकार की खामोशी ने पूरे पंजाब में जनभावना को जगा दिया है. आम आदमी पार्टी ने साफ किया है कि यह मामला केवल एक अफसर की मौत का नहीं, बल्कि न्याय, समानता और सामाजिक सम्मान की लड़ाई है.

दलित समाज से आने वाले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरण कुमार की खुदकुशी के बाद परिवार लगातार न्याय के लिए संघर्ष कर रहा है. पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार में देरी इस बात का प्रतीक बन चुकी है कि सत्ता तंत्र ने एक दलित अफसर की मौत को भी राजनीति और रसूख के नीचे दबाने की कोशिश की है लेकिन अब पंजाब की सड़कों पर इंसाफ की यह मांग आम आदमी पार्टी के नेतृत्व में गूंज उठेगी.

प्रदेश के सभी प्रमुख जिलों में AAP मंत्री और विधायक कैंडल मार्च की अगुवाई करेंगे. अमृतसर में हरभजन सिंह ETO, जालंधर में मोहिंदर भगत, पटियाला में MLA गुरदेव देवमान और चंडीगढ़ में पार्टी के वरिष्ठ नेता इस कैंडल मार्च को लीड करेंगे. पार्टी ने कहा है कि यह सिर्फ प्रतीकात्मक कार्यक्रम नहीं होगा बल्कि यह एक बड़ा संदेश है कि जब सत्ता अन्याय पर चुप रहती है तो जनता सड़कों पर उतरकर उसे जवाब देती है.

आम आदमी पार्टी ने इस आंदोलन को डॉ. भीमराव अंबेडकर की विचारधारा से जोड़ा है. बाबा साहब ने जिस न्याय, समानता और गरिमा के लिए संघर्ष किया, आज उसी विचार की रक्षा के लिए यह मोर्चा खोला जा रहा है. पूरन कुमार जैसे ईमानदार अफसर के साथ हुए अन्याय को पंजाब की जनता किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी. यह आंदोलन एक अफसर के लिए नहीं बल्कि पूरे दलित समाज की गरिमा के लिए है.

जनभावना साफ दिख रही है. लोग गुस्से में हैं, आहत हैं और यह सवाल पूछ रहे हैं कि जब एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी तक को न्याय नहीं मिल पा रहा, तो आम नागरिक का क्या होगा. बीजेपी सरकार की चुप्पी और सुस्त रवैये ने इस गुस्से को और गहरा कर दिया है. आम आदमी पार्टी का कहना है कि सरकार को अब जवाब देना होगा, क्योंकि इंसाफ की मांग को अब दबाया नहीं जा सकता.

आम आदमी पार्टी ने यह भी कहा कि बीजेपी सरकार की संवेदनहीनता इस बात का प्रमाण है कि दलित समाज के दर्द को सत्ता के गलियारों में गंभीरता से नहीं लिया जा रहा. मगर इतिहास गवाह है कि जब सत्ता ने आवाज़ दबाने की कोशिश की है, तब सड़क पर निकले जनसमर्थन ने फैसले करवाए हैं. यही वजह है कि पूरे पंजाब में मोमबत्तियां जलाकर एक स्वर में इंसाफ की मांग उठेगी.

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