क्या अपने ही वादों में फंस गए अरविंद केजरीवाल? चकाचक तो नहीं हुई यमुना, शुरू हो गई जहर की राजनीति

Arvind Kejriwal Politics: क्या अरविंद केजरीवाल यमुना पर दिए अपने जहर वाले बयान से बैकफुट पर आ गए हैं? साल 2014 के ‘दिल्ली डायलॉग’ कार्यक्रम में यमुना नदी को लंदन के टेम्स नदी जैसा बनाने का दावा करने वाली ‘आप’ पर कांग्रेस और बीजेपी अब क्यों हमलावर हो गई है?

साल 2014 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी ने ‘दिल्ली डायलॉग’ कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इस कार्यक्रम में अरविंद केजरीवाल ने अगले पांच साल का रोडमैप दिल्लीवालों के सामने रखा था. ‘आप’ ने तब नारा दिया था ‘डिग्री, इनकम, वाई-फाई, आम आदमी पार्टी लाई’. इस कार्यक्रम में अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ उस वक्त ‘आप’ से जुड़े कई नेता जैसे योगेंद्र यादव, मीरा सान्याल और आदर्श शास्त्री जैसे नेताओं ने भी बीजेपी और कांग्रेस पर खूब बरसे थे. पंजाब के मौजूदा सीएम भगवंत मान तब सांसद हुआ करते थे. उन्होंने भी कहा था कि झाडू से दिल्ली की सारी गंदगी साफ करेंगे. ‘आप’ नेताओं ने यमुना को लेकर कहा था कि लंदन की टेम्स नदी से भी सुंदर नदी यमुना को बनाएंगे.

2014 ते इस कार्यक्रम में ‘आप’ नेताओं के इस दावे के बाद अब उसी पार्टी के संयोजक यमुना पर दिए जहर वाले बयान पर घिर गए हैं. बीजेपी लगातार दिल्ली में यमुना की दुर्दशा पर आप सरकार को घेर रही है. आज 10-11 साल बाद उसी आम आदमी पार्टी को बीजेपी ने भ्रष्टाचार और यमुना में गंदगी के नाम पर निशाने पर ले लिया है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों अरविंद केजरीवाल को कटघरे में खड़ा कर रही है. बता दें कि साल 2014 में जंतर-मंतर कार्यक्रम में अरविंद केजरीवाल ने युवाओं को लेकर भी कई सारे दावे किए थे. केजरीवाल ने तब कहा था कि सत्ता में आए तो अगले पांच साल में 20 नए कॉलेज, नौकरी, रोजगार, कैशल, खेल और प्रोद्योगिकी का विकास करेंगे. इस कार्यक्रम में आम आदमी पार्टी ने नारा दिया था कि डिग्री, इनकम, वाई-फाई, आम आदमी पार्टी आई’.

शीशमहल नहीं, अब यमुना का मुद्दा गर्माया?

अरविंद केजरीवाल या उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी बीते 10-11 सालों से दिल्ली की सत्ता पर काबिज है. लेकिन, यमुना का जल स्वच्छ होने के बजाए और दुषित हो गई है. दिल्ली चुनाव के दौरान जो यमुना का मुद्दा गायब था, उस मुद्दे को अरविंद केजरीवाल ने खुद ही हवा दे दी. केजरीवाल दिल्ली चुनाव में न बोले होते कि हरियाणा सरकार ने यमुना के पानी में जहर मिला दिया है, तो यमुना इतना बड़ा मुद्दा नहीं बनता. आज बीजेपी के नेता यमुना में डुबकी लगाने से लेकर पानी पी-पीकर अरविंद केजरीवाल को कोस रहे हैं.

टेम्स नदी बनाने का सपना, बन गया गंदा नाला

बीते दो दिनों से दिल्ली में यमुना को लेकर बवाल मचा हुआ है. हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने तो हरियाणा सीमा के भीतर यमुना नदी का पानी पीकर अरविंद केजरीवाल को खुला चैलेंज दे दिया है कि वह भी दिल्ली में यमुना का पानी पीकर दिखाएं. ऐसे में दिल्ली चुनाव का रुख अब शीशमहल और फ्री सेवा से हटकर यमुना की तरफ मुड़ गया है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि चुनाव प्रचार के अंतिम समय में क्या अरविंद केजरीवाल ने शीशमहल वाला मुद्दा से ध्यान भटकाने के लिए यमुना वाला मुद्दा उछालकर बड़ा खेल किया है? क्या अरविंद केजरीवाल के चाल में बीजेपी और कांग्रेस फंस जाएगी?

बेशक अरविंद केजरीवाल यमुना मुद्दा किसी रणनीति के तहत उठाए होंगे. लेकिन, दिल्ली में यमुना नदी लगभग 21-22 किलोमीटर क्षेत्र में फैली है. यमुना को साफ करने की कवायद यमुना एक्शन प्लान के तहत साल 1993 में ही शुरू हो गई थी. खास बात यह है कि साल 2015 से लेकर 2023 तक सिर्फ केंद्र सरकार ने यमुना की सफाई पर तकरीबन 1000 करोड़ रुपये खर्च कर दिए. साल 2015 से अबतक अरविंद केजरीवाल और आतिशी सरकार ने भी लगभग 700 करोड़ खर्च कर दिए हैं. यानी 2200 करोड़ खर्च करने के बाद भी यमुना की गंदगी दूर नहीं हुई और चुनाव आते ही यह मुद्दा एक बार फिर से गर्म हो गया. खास बात यह है कि अब लंदन की टेम्स नदी बनाने की बात ‘आपट नेता नहीं करते हैं.

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