प्रख्यात चित्रकार पद्मश्री रणवीर सिंह बिष्ट की 91वीं जयंती पर स्मृति समारोह आज

प्रख्यात चित्रकार पद्मश्री प्रो. रणवीर सिंह बिष्ट की 91वीं जयंती पर स्मृति समारोह का आयोजन किया जाएगा। यह समारोह सप्रेम संस्थान द्वारा फैकल्टी ऑफ आर्किटेक्चर में आयोजित होगा। श्री बिष्ट ने अपनी कला के माध्यम से देश ही नहीं पूरी दुनिया में पहचान हासिल की है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ वंदना सहगल उपस्थित रहेंगी।

स्मृति समारोह में पद्मश्री बिष्ट से जुड़े रहे नगर के प्रतिष्ठित रंगकर्मी पद्मश्री राज बिसारिया, प्रख्यात रंगकर्मी व फिल्म अभिनेता अनिल रस्तोगी, वरिष्ठ रंगकर्मी उर्मिल थपलियाल, वरिष्ठ चित्रकार व कला समालोचक अखिलेश निगम और चित्रकार व संपादक अवधेश मिश्रा विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम में पद्मश्री प्रो. रणवीर सिंह बिष्ट से जुड़ी स्मृतियों को संगोष्ठी और स्लाइड शो के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा। साथ ही एक कैटलॉग का भी विमोचन किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड को समकालीन भारतीय कला परिक्षेत्र में स्थापित करने में प्रो. रणवीर सिंह बिष्ट की ऐतिहासिक भूमिका रही है। रणवीर सिंह बिष्ट का जन्म 4 अक्टूबर 1928 को लैंसडौन, गढ़वाल उत्तराखंड में हुआ था। श्री बिष्ट ने अपनी पहचान एक ‘सैरा चित्रकार’ (लैण्डस्केप पेंटर) के रूप में स्थापित की। उनकी ‘नीलवर्णी श्रृंखला’ (ब्लू सीरीज) सबसे ज्यादा चर्चा में रही।
कला एवं शिल्प महाविद्यालय के प्राचार्य रहे रणवीर सिंह बिष्ट ने अपने जलरंगों के भू-दृश्यों से व्यापक प्रशंसक वर्ग बनाया। कला में अपने नवीनतम प्रयोगों के लिए वह प्रयोगशील कलाकार के रूप में भी चर्चित हुए। वैश्विक स्तर पर कला में हो रहे प्रयोगों से लखनऊ को जोड़ने में भी श्री बिष्ट की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

1948 में कला एवं शिल्प महाविद्यालय लखनऊ में उन्होंने छात्रवृत्ति के साथ प्रवेश प्राप्त किया। 1955 में सूचना विभाग में चित्रकार के पद पर कार्य किया। 1958 में राजकीय कला एवं शिल्प महाविद्यालय में प्रवक्ता एवं 1968 में प्रधानाचार्य के पद पर रहे। 1950 से 1998 के मध्य कई अखिल भारतीय कला पुरस्कार जीते। भारत सरकार ने उन्हें 24 मार्च 1991 में पद्मश्री से सम्मानित किया।

श्री बिष्ट 1974 से 78 तक मुनाल की प्रेरक संस्था बुरांश के अध्यक्ष रहे। 1978 से मुनाल के आजीवन संरक्षक बने। उत्तराखंड आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी रही। ललित कला अकादमी ने उन्हें 1987 में अपनी फेलोशिप प्रदान की। 25 सितंबर 1998 को श्री बिष्ट का निधन हो गया था।

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