800000 एकड़ से ज्यादा जमीन, 8 लाख से अधिक संपत्ति… वक्फ बोर्ड की ताकत क्यों कम करना चाहती है मोदी सरकार?

Waqf Board News: वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने वाला विधेयक वक्फ बोर्ड के लिए अपनी संपत्तियों का वास्तविक मूल्यांकन सुनिश्चित करने को लेकर जिलाधिकारियों के पास पंजीकरण कराना अनिवार्य कर देगा. देश में 30 वक्फ बोर्ड हैं.

क्या वक्फ अधिनियम का दुरुपयोग नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों को सीमित करने की योजना को बल दे रहा है? यह सवाल राजनीतिक बहस के केंद्र में है, क्योंकि केंद्र सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन करने की तैयारी कर रही है. इस सब के बीच सूत्रों ने आईएएनएस को जो बताया, उसके अनुसार वक्फ अधिनियम के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए वक्फ बोर्ड के संचालन को गलत बताकर पेश किया गया है.

क्या होता है वक्फ का मतलब?

वक्फ का मतलब होता है ‘अल्लाह के नाम’, यानी ऐसी जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है, लेकिन मुस्लिम समाज से संबंधित हैं, वो वक्फ की जमीनें होती हैं इसमें मस्जिद, मदरसे, कब्रिस्तान, ईदगाह, मजार और नुमाइश की जगहें आदि शामिल हैं. एक वक्त के बाद ऐसा देखा गया कि ऐसी जमीनों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है और यहां तक की बेचा जा रहा है. वक्फ बोर्ड मुस्लिम समाज की जमीनों पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया था. वक्फ की जमीनों के बेजा इस्तेमाल को रोकने और जमीनों को गैर कानूनी तरीकों से बेचने से बचाने के लिए वक्फ बोर्ड बनाया गया था.

वक्फ कितने प्रकार के होते हैं?

  • शिया वक्फ बोर्ड
  • सुन्नी वक्फ बोर्ड

वक्फ की जमीनें कितने प्रकार के होती हैं?

वक्फ अलल औलाद: ये वो जमीनें होती हैं जो किसी व्यक्ति ने मुस्लिम समाज के कल्याण के लिए दान दे दी हों. दान देने के बाद ये जमीन मुस्लिम समाज के इस्तेमाल में होती हैं लेकिन इसका मैनेजमेंट दानदाता के परिवार के पास होता है. परिवार के सदस्य ऐसी जमीन को बेच नहीं सकते, लेकिन उसके इस्तेमाल पर फैसला ले सकते हैं.

वक्फ अलल खैरः इन जमीनों का कोई मालिक नहीं होता. वक्फ बोर्ड के अधीन आने वाली इन जमीनों पर बोर्ड किसी व्यक्ति को इसका मैनेजर बना देता है. वक्फ बोर्ड की भाषा में इस मैनेजर को मुतवल्ली कहते हैं. मुतवल्ली इस जमीन का समाजहित में काम लाने के लिए काम करता है. वो अपने विवेक से किसी को जमीन दे नहीं सकता.

सूत्रों का कहना है कि लंबे समय से वक्फ बोर्ड पर कांग्रेस द्वारा वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधनों के बाद भू- माफिया की तरह काम करने, व्यक्तिगत भूमि, सरकारी भूमि, मंदिर की भूमि और गुरुद्वारों सहित विभिन्न प्रकार की संपत्तियों को जब्त करने का आरोप लगाया गया है. सूत्रों के मुताबिक शुरुआत में वक्फ की पूरे भारत में करीब 52,000 संपत्तियां थीं. 2009 तक यह संख्या 4,00,000 एकड़ भूमि को कवर करते हुए 3,00,000 पंजीकृत संपत्तियों तक पहुंच गई थी.

सूत्रों ने कहा कि “आज, पंजीकृत वक्फ संपत्तियों की संख्या 8,72,292 से अधिक हो गई है, जो 8,00,000 एकड़ से अधिक भूमि पर फैली हुई है. यह केवल 13 वर्षों के भीतर वक्फ भूमि के नाटकीय रूप से दोगुना होने को दर्शाता है.” सूत्रों का कहना है कि वक्फ अधिनियम, 1923 अंग्रेजों द्वारा पेश किया गया था. अंग्रेजों ने सबसे पहले मद्रास धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1925 पेश किया. इसका मुसलमानों और ईसाइयों ने बड़े पैमाने पर विरोध किया. इस प्रकार, उन्हें बाहर करने के लिए इसे फिर से तैयार किया गया, इसे केवल हिंदुओं पर लागू किया गया और इसका नाम बदलकर मद्रास हिंदू धार्मिक और बंदोबस्ती अधिनियम 1927 कर दिया गया.

वक्फ अधिनियम पहली बार 1954 में संसद द्वारा पारित किया गया था. इसके बाद इसे निरस्त कर दिया गया और 1995 में एक नया वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसने वक्फ बोर्डों को असीमित शक्तियां प्रदान की. सूत्रों ने कहा, “2013 में, इस अधिनियम में और संशोधन करके वक्फ बोर्ड को किसी की संपत्ति छीनने की असीमित शक्तियां दे दी गई, जिसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती थी.”

सरल शब्दों में, वक्फ बोर्ड को मुस्लिम दान की आड़ में संपत्तियों पर दावा करने की व्यापक शक्तियां दी गई. जानकार सूत्रों ने आईएएनएस को बताया, इसका प्रभावी रूप से मतलब यह है कि एक धार्मिक निकाय को लगभग अनियंत्रित और असीमित अधिकार दिया गया है, जिससे वादी को न्यायिक सहारा लेने से रोका जा रहा है. उन्होंने कहा, “लोकतांत्रिक भारत में किसी अन्य धार्मिक निकाय के पास ऐसी शक्तियां नहीं है.”

जानकारी के मुताबिक, वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 3 में कहा गया है कि यदि वक्फ ‘सोचता है’ कि जमीन किसी मुस्लिम की है, तो यह वक्फ की संपत्ति है. वक्फ बोर्ड को इस बारे में कोई सबूत देने की ज़रूरत नहीं है कि उन्हें क्यों लगता है कि ज़मीन उनके स्वामित्व में आती है. सूत्रों ने बताया कि यहां तक कि मुस्लिम कानूनों का पालन करने वाले देशों में भी वक्फ संस्था नहीं है और न ही किसी धार्मिक संस्था के पास इतनी असीमित शक्तियां हैं. यह भी बताया गया है कि वक्फ निकाय ने विभाजन के दौरान पाकिस्तान से पलायन करने वाले हिंदुओं को कोई जमीन वापस नहीं की.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1