चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अक्सर अधिकारियों को अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाली अप्रत्याशित घटनाओं से सचेत रहने की चेतावनी देते हैं। लोग अक्सर अनुमान लगाते हैं कि उनका मतलब बैंकों में गड़बड़ी या व्यापार में तनाव से संबंधित होगा। लेकिन इस बार यह अलग मामला था। चीन जानलेवा CORONA VIRUS से पीड़ित है। यह संक्रमण चीन में 17 साल पहले फैली बीमारी सार्स से सैकड़ों मौतों की काली याद को ताजा करता है। इससे चीन की विकास दर लगभग ठप पड़ गई थी।
दिसंबर 2019 के अंत में CORONA VIRUS के सामने आने के बाद से अब तक यह खतरा 11 देशों में पहुंच चुका है। वायरस से प्रभावित मरीज अमेरिका, जापान, दक्षिण काेरिया और थाईलैंड में भी पाए जा चुके हैं।2002 से 2003 के बीच सार्स वायरस से चीन और अन्य देशों में 8 हजार से ज्यादा लोग पीड़ित हुए थे। इनमें से 10% की मौत हुई थी। 2003 में चीन की विकास दर 12.5% से घटकर 3.5% ही रह गई थी। हालांकि, 2003 की तुलना में चीन आज ज्यादा गतिशील है। लगभग 4 लाख 50 हजार लोग रोज वुहान की राजधानी हुबेई से यात्रा करते हैं।
2018 में 2 लाख 5 हजार लोगों ने रोज चीन से दूसरे मुल्कों के लिए उड़ान भरी। यह सार्स के दिनों से छह गुना अधिक है। 2003 के मुकाबले आज चीन की अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी है। उस दौर में निर्यात 35 फीसदी तक बढ़ गया था। 2019 में निर्यात की वृद्धि दर केवल 0.5 फीसदी रही। CORONA VIRUS का असर चीन की अर्थव्यवस्था पर भी देखा जा रहा है। इसके फैलने की खबर से चीनी शेयर बाजार में 5 फीसदी की गिरावट आई है। सार्स के दौरान हॉन्गकॉन्ग का सूचकांक 20% गिरा था। सार्स के समय सर्विस सेक्टर को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। यह GDP का 40% था, आज यह 50% है।