सपा प्रमुख अखिलेश ने कहा कि अनुसूचित जाति व जनजाति के अधिकांश छात्रों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। यही कारण है कि इस वर्ग के छात्र प्राइवेट संस्थानों के प्रोफेशनल कोर्सेज में प्रवेश नहीं ले पाते थे। ऐसे में इस वर्ग के छात्रों का ध्यान रखते हुए पूर्व की सरकारों ने जीरो फीस की व्यवस्था की थी। जिसके अंतर्गत इन वर्ग के गरीब छात्रों की फीस का निर्वहन सरकार करती थी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्तमान बीजेपी सरकार ने जीरो फीस की इस महत्वपूर्ण सुविधा को खत्म कर दिया है। इतना ही नहीं अब सरकारी संस्थानों में भी सिर्फ 60 फीसदी से ज्यादा अंक पाने वाले छात्रों को ही छात्रवृत्ति दिए जाने का प्रावधान कर दिया गया है। यह गरीब छात्रों के लिए बड़ा आघात है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ ही साथ सरकारी नौकरी, प्राइवेट नौकरी और रोजगार के अवसरों को भी सीमित कर दिया गया है। इसका नकारात्मक असर वंचित समाज के सभी वर्गों पर पड़ रहा है। सरकार द्वारा ऐसा करने के पीछे का मकसद साफ है। वह अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को मुख्यधारा से वंचित कर रही हैं जिससे कि समाज में समानता-असमानता जैसी कुरीति विद्यमान रहे।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षा से वंचित कर सरकार, अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को अपराधी बनाना चाहती है। उदाहरण के तौर पर जिन राज्यों, क्षेत्रों में शिक्षा और रोजगार की कमी है वहां पर अपराध का ग्राफ काफी अधिक होता है। वर्तमान समय में सरकार की इस गलत नीति से एक पीढ़ी ही नहीं बल्कि आने वाली कई पीढिय़ों के जीवन को बर्बाद करने का निर्णय लिया जा चुका है। मौजूदा सरकार के इस दमनकारी फैसले को वापस करवाने की पक्षधर सपा है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि बीजेपी सरकार ने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था समाप्त कर उन्हें उच्च शिक्षा तथा रोटी-रोजगार से वंचित करने की साजिश की है। उन्होंने कहा कि इस दमनकारी फैसले को वापस कराने के लिए सपा 26 नवम्बर को संविधान दिवस के दिन बड़ा आंदोलन करेगी।
