बिहार के इस शमशान घाट में 24 घंटे की वेटिंग, 21 दिनों में 900 से अधिक शवों का दाह संस्कार

बिहार मेें कोरोना के कहर इस कदर बढ़ता जा रहा है कि मोक्षधाम पर भी वेटिंग चल रही है। हाल यह है कि 20 से 24 घंटे तक दाह संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे में परिजनों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है। अस्पताल में बेड के लिए इंतजार करने के बाद उन्हें श्मशान घाट पर भी भूखे-प्यासे इंतजार करना पड़ रहा है।

दरअसल, शवों की संख्या बढ़ने से श्मशान घाटों की व्यवस्था चरमरा गई है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोरोना से मरने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है। बांस घाट पर हर रोज 65 से 70 शव आ रहे हैं। वहीं, पिछले वर्ष जब कोरोना संक्रमण अपने चरम पर था, तब औसतन 20 से 25 शव जलाए जाते थे। इस बार यह आकड़ा अभी ढाई से तीन गुना से अधिक हो गया है। पिछले तीन सप्ताह में बांस घाट पर कोविड के करीब 900 से अधिक संक्रमित शव को जलाया जा चुका है। यहां जलने वाले शव पटना जिला समेत दूसरे जिलों के भी हैं, जिनकी मौत पटना के अस्पतालों में हुई है।

बांस घाट पर सबसे अधिक कोविड शवों को जलाया जा रहा है। 24 घंटे यहां संक्रमित शव पहुंच रहे हैं। एक कतार में 19 से 20 संक्रमित शव रखे गए हैं। अभी पुराने की कतार खत्म नहीं होती है कि नयी कतार लगनी शुरू हो जा रही है। पिछले पांच दिनों से यहां 65 से 70 शव पहुंच रहे हैं। जिसके कारण संक्रमित शव को जलाने में किसी को 17 घंटा, तो किसी को 20 घंटा से अधिक इंतजार करना पड़ रहा है।

कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच मरनेवालों का दाह संस्कार करने के लिए भी परिजनों को इंतजार करना पड़ रहा है। श्मशान घाट पर परिजन शव को कतार में रखकर अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि पटना नगर निगम के सिटी व अजीमाबाद अंचल के खाजेकला घाट पर विद्युत शवदाह गृह चालू होने से लोगों को राहत मिली है। फिलहाल यहां शव के अंतिम संस्कार के लिए ज्यादा समय व्यतीत नहीं करना पड़ रहा है। मुख्य सफाई निरीक्षक ने बताया कि दोपहर तीन बजे तक आठ शव जलाए जा चुके हैं। पांच शव अभी और जलना है। वहीं ईओ राकेश कुमार सिंह ने बताया कि शव जलाने को लेकर परिजनों के बीच आगे-पीछे का मामला न हो, इसे लेकर विद्युत शवदाह गृह परिसर में निगम की ओर से आठ चौकी उपलब्ध कराया गया है। जिस पर शव नम्बर से रखा गया है। शनिवार को संख्या अधिक होने से देर रात तीन बजे तक शवों का अंतिम दाह संस्कार किया गया था।

महेन्द्रू के गुलबी घाट विद्युत शवदाह गृह मोक्षधाम में पटना नगर निगम के बांकीपुर अंचल की ओर से प्रतिनियुक्त मुख्य सफाई निरीक्षक कृष्ण नारायण शुक्ला ने बताया कि रविवार की सुबह छह बजे से लेकर शाम सात बजे तक कोरोना संक्रमित 23 शवों का अंतिम दाह संस्कार कराया जा चुका है। इसमें दस शवों को विद्युत शवदाह गृह में जलाया गया है। जबकि 13 शवों को लकड़ी पर जलाया गया है। वहीं तीन शवों को जलाने के लिए सूचीबद्ध रखा गया है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा घाट पर 47 सामान्य शवों को भी लकड़ी पर जलाया गया है।

ढीबरा दानापुर के रहने वाले पुरूषोत्तम कुमार ने कहा कि पटना एम्स में जब चाचाजी को मृत घोषित किया गया तब वहां से सीधे बांस घाट लेकर दिन में 12 बजे के करीब पहुंच गए। यहां पहुंचने पर पता चला कि अभी तो लंबी कतार है, रात हो जाएगी। जिस समय पहुंचा उस समय 30 से अधिक डेड बॉडी पड़ी हुई थी। यहां संक्रमित शव के जलाने के लिए जो नि:शुल्क व्यवस्था की गई है, वो बहुत ज्यादा कारगर नहीं हैं। यहां कोई पूछने वाला नहीं है। कैसे बॉडी जलेगी, कोई बताने वाला नहीं हैं। लकड़ी पर जलाने के लिए भी यहां के कर्मी पैसा मांग रहे हैं जबकि नगर निगम ने नि:शुल्क कर दिया है।

नेहरू नगर के रहने वाले बिट्टू की मां की मौत कोरोना से शहर के एक निजी अस्पताल में हो गई। शनिवार दोपहर बाद वे शव लेकर बांसघाट श्मशान घाट पहुंचे। रात भर इंतजार करने के बाद दोपहर बाद नंबर आया। कोरोना संक्रमण के चलते घर भी नहीं जा सकते थे। रविवार को दोपहर बाद दाह संस्कार करने के बाद घर लौटे।

बांस घाट पर विद्युत शव दाहगृह में शव को जलाने में कार्यरत कर्मी भी संक्रमित होने लगे हैं। जो अतिरिक्त मजदूर दिए गए थे, उनमें भी डर का माहौल है। यहां लगाए गए मजदूर भी काम छोड़ भाग जा रहे हैं। बावजूद इसके नगर निगम अपने स्तर से पूरी कोशिश कर रहा है कि शवों की कतार नहीं लगे। जो संक्रमित हैं या जिनकी तबीयत खराब है, उनका इलाज कराया जा रहा है। अगर अतिरिक्त कर्मियों की नहीं लगाया जाएगा तो बहुत ही परेशानी होगी। यहां की वार्ड पार्षद ने नगर आयुक्त से मांग की है कि बांस घाट पर व्यवस्था बेहतर करने के लिए और यहां के कर्मी परिजनों को परेशान नहीं करें, इसके लिए एक प्रशासनिक पदाधिकारी की तैनाती की जाए।

परिजनों का आरोप है कि बांस घाट के कर्मी परेशान कर रहे। अवैध वसूली की जा रही है। वार्ड 28 की पार्षद नीता राय के प्रतिनिधि जब वहां पहुंचे तो शाम को 35 से अधिक शव रखा हुआ था। उसी समय मुख्य सफाई निरीक्षक भी वहां पहुंचे तो देखा कि कोरोना काल में अंतिम संस्कार के लिए बांस घाट पर 10 अतिरिक्त मजदूर दिया गया है। लेकिन वहां सिर्फ एक मजदूर उपस्थित था। मजदूरों के नहीं रहने के कारण शवों की कतार लगी रहती है। यहां परिजन शव के अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार कर रहे हैं।

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