कमलनाथ की बढ़ेंगी मुश्किलें, सिख दंगे में SIT ने शुरू की दोबारा जांच

1984 के सिख दंगों के मामले में मध्यप्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ सकती है। सिख दंगों से जुड़े बंद मामलों की फिर जांच के लिए बनी SIT ने सात केस की जांच दोबारा शुरू कर दी है। इन सभी मामलों में आरोपियों को बरी कर दिया गया है या अदालत में सुनवाई बंद हो चुकी है।

गौरतलब बात यह है की इन सातों केस से जुड़ी एफआइआर में सीधे तौर पर कमलनाथ का नाम नहीं है, लेकिन भाजपा विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा का दावा है कि इनमें से गुरूद्वारा रकाबगंज दंगे के जुड़े एक केस में कमलनाथ ने आरोपियों को शरण दिया था है और इसके लिए दो चश्मदीद गवाही देने को तैयार हैं।

SIT ने जिन सात मामलों की जांच का फैसला किया है, वे वसंत विहार, सनलाइट कॉलोनी, कल्याणपुरी, संसद मार्ग, कनॉट प्लेस, पटेल नगर और शाहदरा पुलिस स्टेशन से जुड़े हैं। SIT ने सार्वजनिक सूचना जारी कर आम जनता से इन केस से संबंधित जानकारी देने को कहा है। इसके अनुसार कोई व्यक्ति, समूह, संस्था या संगठन इन केस से जुड़ी कोई भी जानकारी SIT से साझा कर सकती है। इसके लिए SIT के पुलिस स्टेशन में जाकर केस की जांच के प्रभारी अधिकारी से संपर्क करना होगा।

9 अप्रैल को गृहमंत्रालय ने SIT को लिखा था कि ऐसे सभी गंभीर मामले जिसमें आरोपी बरी हो गए हैं उसकी फिर से जांच शुरू की जाये। और बाद में 19 अगस्त को इन मामलों से जुड़े तथ्यों को गृहमंत्रालय की वेबसाइट पर डालने का निर्देश दिया था ताकि देश और दुनिया में सभी को इसकी जानकारी हो सके ताकि जिसके पास भी कोई सबूत हो वह उसे SIT के सामने पेश कर सकें।

2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने सिख दंगा पीडि़तों को न्याय सुनिश्चित कराने का संकल्प लिया था। सिख दंगा पीडि़तों का आरोप था कि पुलिस ने राजनीतिक दबाव में इन मामलों की ठीक से जांच नहीं की और सबूतों के अभाव का बहाना बनाकर इनसे जुड़े मामलों को बंद कर दिया। ऐसे मामलों में आगे की कार्रवाई का रास्ता बताने के लिए मोदी सरकार ने सेवानिवृत जस्टिस जीपी माथुर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। अपनी रिपोर्ट में जस्टिस जीपी माथुर कमेटी ने SIT का गठन बंद मामलों की दोबारा जांच की सिफारिश की थी। इसके बाद 12 फरवरी 2015 को दो आरक्षी निरीक्षक और एक न्यायिक अधिकारी वाले SIT का गठन किया गया।

पिछले लगभग साढे़ चार साल में SIT ने सिख दंगों से जुड़े कुल 650 मामलों में से 80 की गहराई से छानबीन की। इनमें से सात केस की जांच शुरू करने का फैसला किया गया है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कई राज्यों में भड़के दंगों में 3325 लोग मारे गए थे। इनमें से 2733 लोग सिर्फ दिल्ली में मारे गए थे। दिल्ली पुलिस ने सबूत के अभाव का हवाला देते हुए 241 केस बंद कर दिया था। बाद में गठित नानावती आयोग ने केवल चार केस की दोबारा जांच की जरूरत बताई थी। नानावती आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सीबीआइ चार केस की दोबारा जांच शुरू की, जिनमें से केवल दो केस में आरोपपत्र दाखिल किया। इन्हीं में से एक मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

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