भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच सोमवार को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा की तनावपूर्ण स्थिति पर 14 घंटे तक मैराथन बातचीत हुई। चीनी सैनिकों की भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ के बाद दोनों देशों के बीच यह छठी सैन्य वार्ता थी और इसका भी नतीजा वही रहा जो पिछली 5 बैठकों का रहा। यानी दोनों पक्ष अपने-अपने पक्ष पर अडिग रहे। भारत जहां 10 सितंबर, 2020 को मास्को में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की वार्ता में बनी सहमति के मुताबिक कदम उठाने की मांग कर रहा था वहीं चीनी पक्ष मौजूदा हालात की जिम्मेदारी भारत पर थोपने में लगा रहा। बहरहाल, दोनों पक्षों की तरफ से बातचीत आगे भी जारी रखने का वादा किया गया।
जैसा कि पूर्व की बैठकों के बाद भी हुआ है इस बार भी आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि मामला बेहद जटिल है और सैन्य वापसी को लेकर सहमति बनने में वक्त लग सकता है। मास्को में भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच 5 मुद्दों पर बनी सहमति के बाद यह पहली सैन्य बैठक थी। चुशूल-मोल्दो में हुई इस बैठक में इसमें भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय के भी एक वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। माना जा रहा है कि विदेश मंत्रियों के बीच की सहमति को सही परिप्रेक्ष्य में रखने के लिए विदेश मंत्रालय के अधिकारी को शामिल किया गया था।
सूत्रों का कहना है कि, दोनों पक्षों में सैनिकों की पूरी तरह से वापसी को लेकर सहमति है लेकिन इसे कैसे लागू किया जाए इस बारे में अभी बातचीत जारी रखी जाएगी।
इस तरह की सैन्य वार्ता के अलावा दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच भी 5 दौर की बातचीत हो चुकी है। इसके अलावा रक्षा मंत्रियों व विदेश मंत्रियों के बीच भी बैठक हुई है और सैनिकों की वापसी को लेकर सहमति भी बनी है। इसके बावजूद स्थिति तनावपूर्ण है। 30 व 31 अगस्त को अंतिम बार LAC पर स्थित पैंगोग झील के दक्षिणी हिस्से में दोनों तरफ की सेनाओं के बीच झड़पें हुई थीं। उसके बाद कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है लेकिन दोनो तरफ से सैन्य तैयारियां पूरी तरह से चरम पर है।