देश में जब Lockdown की घोषणा हुई तब दूसरे राज्यों में काम कर रहे बिहार के लोगों ने वापस अपने पैतृक राज्य का रुख करना शुरू कर दिया। अब ऐसे में राज्य के CM नीतीश कुमार को यह चिंता सताने लगी कि माइग्रेंट्स के कारण राज्य में Coronavirus फैलने की संभावना है। हालांकि लगभग 1.8 लाख माइग्रेंट्स की स्क्रीनिंग के बाद राज्य सरकार ने राहत की सांस ली है। इन माइग्रेंट्स में कोई भी कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव नहीं पाया गया है।
स्क्रीनिंग उन माइग्रेंट्स की हुई जो या तो अपने परिवार के साथ रह रहे हैं या फिर जो 3,115 क्वारंटीन सेंटर्स में मौजूद हैं। बिहार हेल्थ डिपार्टमेंट के अनुसार, 4,991 लोगों का टेस्ट किया गया, जिनमें 2,000 माइग्रेंट्स, ट्रैवल हिस्ट्री वाले लोग और उनके रिश्तेदार भी शामिल हैं। जिन लोगों का टेस्ट किया गया, उनमें से कुछ Coronavirus पॉजिटिव मिले। इनमें से ज्यादातर लोगों की या तो ट्रैवल हिस्ट्री रही या फिर इनका विदेश यात्रा करने वालों से संपर्क रहा।
राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार, Lockdown के दौरान लगभग 1.8 लाख माइग्रेंट्स दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, गुजरात, उत्तर प्रदेश से लौटे हैं। इनमें से करीब एक लाख अपने परिवार के पास वापस चले गए हैं और अपना 14 दिन का होम क्वारंटीन पूरा कर रहे हैं। सभी माइग्रेंट्स की सबसे पहले इंटर-स्टेट बोर्डर पर स्क्रीनिंग हुई और बाद में उनके अपने जिलों में फिर से स्क्रीनिंग हुई।
एक रिपोर्ट के अनुसार, सबसे पहले स्कूलों या पंचायत भवनों में बने 3,115 क्वारंटीन सेंटर्स पर रहने वाले 27,300 माइग्रेंट्स की स्क्रीनिंग हुई। दूसरे चरण में हॉट स्पॉट राज्यों जैसे कि महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली और कर्नाटक से लौटे 55,000 से ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग की गई।
स्कीनिंग के दौरान डॉक्टर्स ने पाया कि दोनों ही चरणों में एक प्रतिशत से भी कम लक्ष्णात्मक मामले थे। हालांकि जो लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए उन लोगों की मिडिल ईस्ट कंट्रीज की ट्रैवल हिस्ट्री थी या फिर उनका तबलीगी जमात से कनेक्शन था। अगर हर राज्य में तब्लीग़ी जमात द्वारा फैलाये संक्रमण का आंकड़ा देखें तो तथ्य चौंका देने वाले हैं, चूँकि बिहार में यह आंकड़े लगभग न के बराबर हैं।
एक तरफ जहाँ स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं की तब्लीग़ी जमात का प्रतिशत कुल संक्रमण का हिस्सा 40% है और इस संक्रमण की गति को 3 गुना बढ़ा दिया है। हर राज्य में यह आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं फिर बिहार में यह आंकड़े सामने क्यों नहीं आ पा रहे हैं, अब या तो बिहार की ख़ुशक़िसमति है की यहाँ लेकिन नितीश सरकार अपनी राजनितिक मज़बूरी की आड़ में इन आंकड़ों को छुपा रही है या फिर आने वाले विधानसभा चुनावों में किसी भी प्रकार के नुकसान से बचने की रणनीति है। जो भी हो, लेकिन समय रहते अगर सही आंकड़े उपलब्ध हों तो ही बचाव का रास्ता बन पायेगा।

