करीब 20 दिन बाद एक बार फिर गोमतीनगर विस्तार और चिनहट से जुड़े इलाकों में तेंदुए की दहशत फैल गई है। हाल यह रहा कि होलिका दहन के लिए भी लोग रात में निकलने से कतराते नजर आए। गोमती के किनारे खूंखार जंगली जानवर के पग चिह्न मिले हैं। यह इलाका बाराबंकी से सटा है, जबकि लौलाई का पुरवा और सदरौना के पास किसी जंगली जानवर के पग चिह्नों के साथ बछड़े का अवशेष भी मिला है। इससे वन विभाग सतर्क हो गया है। विशेषज्ञों ने इन पग चिह्नों के मुताबिक बड़े साइज के लकड़बग्घे या भेडिय़ा के होने की आशंका जताई है।
हालांकि, इस जानवर को पकडऩे के लिए वन विभाग ने लौलाई का पुरवा और सदरौना के जंगलों में पिंजड़ा लगाया है। DFO डॉ. रवि कुमार सिंह का कहना है कि छोटे पग मार्क मिले हैं, जिसमे नाखून के भी निशान हैं। तेंदुआ जब मूवमेंट करता है तो उसके नाखून के निशान नहीं दिखते हैं। पगमार्क में नाखून होने से बड़े साइज का भेडिय़ा और लकड़बग्घा होने की भी आशंका जताई जा रही है। हालांकि, वन विभाग की टीम को सतर्क कर दिया गया है। चार जगहों पर पिंजड़ा लगाया गया है। पेट्रोलिंग टीम बाराबंकी तक गई है।
एक माह से मलेसेमऊ इलाके में तेंदुआ होने की सूचना तैर रही है। इसे और बल तब मिला, जब जंगली जानवर ने पड़वा का शिकार करने की कोशिश की थी। वीडियो में कैद तेंदुए और पड़वा पर हमले को लेकर वन विभाग भी सतर्क हो गया था। मलेसेमऊ, ककहरा और मल्हौर में वन विभाग की टीम को लगाया गया था। करीब तीन साल पहले भी मलेसेमऊ के जंगल में तेंदुआ आने की सूचना थी और चीतल के अवशेष पेड़ पर लटके पाए गए थे। यह इलाका गोमती नदी के पास का है और चारों तरफ जंगल है, जो बाराबंकी की सीमा तक है।

