केंद्र सरकार ने निर्वाचन आयोग की सिफारिशों के आधार पर चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए अहम फैसला किया है। रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने बुधवार को चुनावी सुधारों पर एक विधेयक को मंजूरी दे दी। इसमें चुनाव आयोग (Election Commission) को स्वैच्छिक आधार पर मतदाता सूची (electoral rolls) के साथ आधार संख्या (Aadhaar number) को जोड़ने की अनुमति भी शामिल है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से पारित विधेयक के अनुसार सेवा मतदाताओं के लिए चुनावी कानून को ‘जेंडर न्यूट्रल’ बनाया जाएगा। विधेयक का एक अन्य प्रविधान देश के युवाओं को हर साल चार अलग-अलग तिथियों पर मतदाता के रूप में खुद को पंजिकृत करने की अनुमति देगा। अब तक हर साल पहली जनवरी या उससे पहले 18 वर्ष के होने वालों को ही मतदाता के रूप में पंजिकृत करने की अनुमति है।
चुनाव आयोग (Election Commission) का दावा है कि उसके पायलेट प्रोजेक्ट्स बेहद सफल रहे हैं। ये चुनाव प्रक्रिया में दोहराव यानी डबल मतदान को रोकने में कारगर होंगे। प्रस्ताव के अनुसार 18 साल पूरे करने वाले युवा वोटर के तौर पर साल में एक बार 1 जनवरी के बजाय अब 4 कटआफ डेट्स में खुद को रिजिस्ट कर सकेंगे। रिपोर्टों के मुताबिक सरकार इन अहम चुनाव सुधारों को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश कर सकती है।
कानून मंत्रालय निर्वाचन आयोग की सिफारिश को पहले ही हरी झंडी दे चुक था। निर्वाचन आयोग ने सरकार को मतदाता सूची में सुधार, मतदान प्रक्रिया को और अधिक समावेशी बनाने के भी प्रस्ताव दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखते हुए आधार कार्ड को वोटर आईडी (ID) से जोड़ने का फैसला स्वैच्छिक होगा।

