अपने बयानों के कारण अक्सर विवादों में रहने वालीं बीजेपी नेता उमा भारती (Uma Bharti) का एक और बयान चर्चा का विषय बन गया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने ब्यूरोक्रेसी को लेकर एक विवादित बयान दिया है. भारती ने कहा कि “ब्यूरोक्रेसी चप्पल उठाने वाली होती है, हमारी चप्पल उठाती है.” अपने भोपाल स्थित घर पर ओबीसी महासभा के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान, जातिगत जनगणना और लिंगायत समाज पर बोलते-बोलते उमा भारती ने कंपनियों के निजीकरण को लेकर भी अपना गुस्सा निकाला.
18 सितंबर को, ओबीसी महासभा के प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती से भोपाल स्थित उनके बंगले पर मुलाकात की. इस दौरान प्रतिनिधमंडल ने ओबीसी की जातिगत जनगणना और प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण को लेकर उमा भारती को 5 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा और साथ ही चेतावनी दी कि मध्य प्रदेश सरकार को ओबीसी महासभा की मांगों पर जल्द से जल्द फैसला लेना होगा, नहीं तो ओबीसी महासभा सड़कों पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद, विधायक और मंत्रियों का पुरजोर विरोध करेगी.
प्रतिनिधिमंडल से बात करते हुए उमा भारती ने निजीकरण पर भी अपना गुस्सा जाहिर किया. लोगों को प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की मांग करने की सलाह देते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “आरक्षण में है क्या? जब तक प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण नहीं मिलेगा, आपको क्या मिलेगा? सारा तो प्राइवेट सेक्टर के हाथ में सौंप दिया है. सारी जमीनों को प्राइवेट सेक्टर को देने की तैयारी हो रही है. आपको तो प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण मिलना चाहिए.”
उमा भारती का ये बयान कंपनियों के निजीकरण की ओर इशारा है. कंपनियों के निजीकरण को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार हमेशा से ही आलोचनाओं का सामना कर रही है. एयर इंडिया से लेकर पीएसयू कंपनियों का निजीकरण किया जा रहा है. सरकार पर आरोप लगते रहे हैं कि कंपनियों के प्राइवेट होने के बाद आरक्षण छिन जाएगा. उमा भारती ने प्रतिनिधिमंडल से बात करते हुए उन्हें प्राइवेट में आरक्षण की मांग करने की सलाह दी.