CJI रंजन गोगोई-अगर जरूरत पड़ी तो मैं जाऊंगा कश्मीर

जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के संबंध में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वे कश्मीर दौरा कर सकते हैं। इस दौरान उन्होंने कहा ‘मैंने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट से एक रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट को देखने के बाद अगर मुझे लगा कि वहां जाना चाहिए तो मैं खुद वहां जाऊंगा।’

सुप्रीम कोर्ट ने गुलाम नबी आजाद को श्रीनगर, जम्मू, अनंतनाग और बारामुला जाने की सशर्त अनुमति दी है। इससे कि वह अपने क्षेत्र के लोगों का हालचाल ले सकें। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि आजाद इस दौरान कोई भाषण नहीं देंगे और न ही कोई सार्वजनिक रैली करेंगे।

बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस अब्दुल नजीर की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस पीठ ने केंद्र सरकार को दो हफ्ते में कश्मीर की पूरी तस्वीर सामने रखने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत और जम्मू-कश्मीर सरकार को मामले में एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा। कोर्ट ने अगली सुनवाई 30 सितंबर को करने के लिए कहा है। इससे पहले केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कश्मीर में जल्द से जल्द सामान्य जीवन बहाल हो। साथ ही उसने इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा को भी ध्यान में रखने को कहा है।

पीठ को केंद्र सरकार ने बताया कि कहा सभी कश्मीर के सभी समाचार पत्र चल रहे हैं और सरकार सभी प्रकार की सहायता दे रही है। इसने यह भी कहा कि राज्य में एफएम नेटवर्क के साथ दूरदर्शन और अन्य निजी जैसे टीवी चैनल काम कर रहे हैं। पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से केंद्र द्वारा उठाए गए कदमों का ब्योरा मांगा। केंद्र सरकार ने इस दौरान बताया कि एक भी गोली नहीं चलाई गई है। कुछ स्थानीय जगहों पर बैन लगे हुए हैं। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि कश्मीर में अगर तथा-कथित बंद है तो उससे जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट निपट सकता है।

इस दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि पाकिस्तान की ओर कश्मीर में आतंकियों के लिए बड़े पैनामे पर फंडिंग हो रही है। पाकिस्तान की ओर से लगातार वहां अशांती फैलाने की कोशिश हो रही है। इस दौरान उन्होंने 2016 में बुरहान वानी की मौत का उदाहरण देते हुए कहा कि सुरक्षा के मद्देनजर 3 महीने के लिए इंटरनेट और फोन सुविधाओं को बंद कर दिया गया था।

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म किए जाने को चुनौती देने समेत इससे जुड़ी करीब 8 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। इन याचिकाओं में अनुच्छेद 370 खत्म करने, क्षेत्र में राष्ट्रपति शासन की वैधता और वहां लगाई गई पाबंदियों को चुनौती दी गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद और पीडीपी के सज्जाद लोन समेत कई लोगों ने ये याचिकाएं दायर की हैं।

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