ग्लोबल मार्केट में चांदी ने पहली बार ₹2.50 लाख प्रति किलो का ऐतिहासिक स्तर पार कर लिया है। औद्योगिक मांग, कमजोर डॉलर और सुरक्षित निवेश की बढ़ती चाहत ने सिल्वर रैली को नई रफ्तार दी है। ऐसे में निवेशकों के मन में सवाल है कि 2026 में चांदी की कीमत क्या होगी?
वैश्विक बाजार में शुक्रवार को पहली बार चांदी की कीमत 75 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार कर गई है। अगर भारतीय बाजार में इस स्तर पर भाव देखें तो चांदी की कीमत 2,50000 लाख रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हो गई है। वहीं, भारतीय बाजार में चांदी की कीमत 2,40000 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई है। आपको बता दें कि चांदी ने पिछले 1 महीने में 39.71%, 3 महीनों में 68.79%, 6 महीनों में 125.59% और 12 महीनों में 174.88% का शानदार रिटर्न दर्ज किया गया है। ऐसे में सोमवार को चांदी में एक और बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है। अब सवाल उठता है कि चांदी की कीमत कहां जा कर रुकेगी? अगर आप निवेशक हैं तो क्या करना चाहिए? आइए आपके सभी सवालों के जवाब देते हैं।
चांदी की कीमत 100 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने का अनुमान
2026 को लेकर कई सारे कमोडिटी एक्सपर्ट का मनना है कि अब सिल्वर $100 प्रति औंस के माइलस्टोन को 2026 में हासिल करने की ओर बढ़ गया है। वहीं, बहुत सारे अगले साल चांदी के लिए $70-$85 प्रति औंस की रेंज का अनुमान लगा रहे हैं। उनका कहना है कि चांदी का हाई-बीटा नेचर बड़े रेजिस्टेंस लेवल टूटने के बाद तेजी से आगे बढ़ सकता है। अगर यह रेट गया तो भाारतीय बाजार में चांदी की ₹2.75 लाख प्रति किलो तक आसानी से पहुंच सकती है।
इसलिए बढ़ रही चांदी की कीमत
- मांग में तेजी
चांदी सिर्फ एक निवेश मेटल नहीं है, बल्कि औद्योगिक उपयोग में भी बड़ी भूमिका है। खासतौर से सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक्स और तकनीकी उपकरणों में। इससे मांग लगातार बढ़ रही है जो कीमत बढ़ाने का काम कर रहा है।
- सप्लाई का दबाव
विश्व स्तर पर चांदी का उत्पादन उसकी बढ़ती मांग के मुकाबले धीमा है। सप्लाई कम होने से रेट ऊपर जा रहा है।
- वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता
निवेशक अब जोखिम भरे बाजारों और शेयरों की बजाय कीमती धातुओं (Precious Metals) में पैसा लगाना पसंद कर रहे हैं ताकि वे आर्थिक और मुद्रा अनिश्चितता से बच सकें। यह चांदी की कीमतों को सपोर्ट देता है।
- US फेडरल रिजर्व की नीतियां
अगर अमेरिका जैसे बड़े देश ब्याज दरें घटाने की संभावना जताते हैं, तो डॉलर कमजोर होता है और धातुओं की कीमतें ऊपर जाती हैं। इसमें चांदी भी शामिल है।
- निवेश में बढ़ती रुचि
इंटरनेशनल मार्केट और ETF जैसे निवेश माध्यम में चांदी में निवेश बढ़ा है, जिससे घरेलू MCX पर भी भाव ऊपर की ओर जा रहा है।
- वेनेजुएला संकट
कमोडिटी एक्सपर्ट के अनुसार, चांदी की कीमत में तेज उछाल के पीछे वेनेजुएला में बढ़ते तनाव के बीच, अमेरिका द्वारा तेल टैंकरों पर लगाए गए प्रतिबंध हैं। इसके चलते चांदी की सुरक्षित निवेश के रूप में मांग बढ़ी है।
सोना भी रिकॉर्ड बनाने में पीछे नहीं
चांदी के साथ सोने में भी जबरदस्त तेजी है। MCX पर पिछले हफ्ते सोना वायदा 1,39,940 रुपये प्रति 10 ग्राम पर अब तक का सबसे ऊंचा साप्ताहिक क्लोज दर्ज किया, जो लगातार सातवां सकारात्मक साप्ताहिक क्लोज है। कीमतें सुपरट्रेंड से ऊपर ट्रेड कर रही हैं, जो बताता है कि शॉर्ट-टर्म तेज़ी का ट्रेंड बरकरार है। उम्मीद है कि तेती अगले हफ्ते भी जारी रहेगी, हालांकि, कीमतों को शुरू में 1,42,000 रुपये के आसपास और फिर 1,44,000 रुपये पर प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है। नीचे की ओर, तत्काल सपोर्ट 1,36,400 रुपये पर देखा जा रहा है, जबकि अगला सपोर्ट 1,32,900 रुपये के पास है।
तांबे में भी जबरदस्त उछाल
सोने के अलावा तांबे ने भी जबरदस्त तेजी है। पिछले हफ्ते MCX पर दोहरे अंकों में बढ़त दर्ज की और रिकॉर्ड 1,260 रुपये प्रति किलोग्राम पर लगभग 13% की बढ़त के साथ बंद हुआ।
ग्लोबली, LME कॉपर की कीमतें $12,200 प्रति टन से ऊपर निकल गईं, जबकि COMEX फ्यूचर्स $5.90 प्रति पाउंड की ओर बढ़ गए। कॉपर ने शंघाई एक्सचेंज पर भी नए रिकॉर्ड बनाए। इसके अलावा, चीनी रेगुलेटर्स ने 2026 से नए कॉपर और एल्यूमिना प्रोजेक्ट्स पर कड़ी निगरानी का संकेत दिया है, जिससे लगातार सप्लाई अनुशासन की उम्मीदें मजबूत हुई हैं।

