पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है एक बार फिर से उसकी हरकत नाकामयाब साबित हुई है। भारतीय इंजीनियर वेणुमाधव डोंगरा अगले कुलभूषण जाधव साबित हो सकते थे, मगर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के त्वरित एक्शन से 7 सितंबर को अफगानिस्तान में उन्हें पाकिस्तान के चुंगल में फंसने से बचा लिया गया। भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के अधिकारी के मुताबिक, पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की योजना थी कि युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान में एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले भारतीय इंजीनीयर डोंगरा को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की 1267 समिति की लिस्ट में शामिल करना था। पाकिस्तान इस प्रस्ताव के तहत भारतीय इंजीनियर को आतंकवादी घोषित करवाना चाहता था।
इस प्रस्ताव के तहत सुरक्षा परिषद किसी आतंकवादी या आतंकी संगठन को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी या आतंकवादी संगठन घोषित कर सकती है और उस पर व्यापक प्रतिबंध लगा सकती है। इस सूची में नाम शामिल होते ही संयुक्त राष्ट्र के सभी देश उसे आतंकवादी या आतंकी संगठन के रूप में सत्यापित मानकर कठोर रवैया अपनाते हैं। भले ही ऐसे आतंकी या आतंकवादी संगठन दुनिया में कहीं भी स्थित क्यों न हों।
भारतीय अधिकारियों की मानें तो पाकिस्तान की आईएआईएस ने डोंगरा की फर्जी आतंकी गतिविधियों पर एफआईआर, फोटो, और अन्य फर्जी सबूत सहित एक डोजियर तैयार कर लिया था। पाकिस्तान ने भारतीय इंजीनियर को जमात-उल-अहरार, तारिक गिदार ग्रुप, टीटीपी, आईएसआईएल और लश्कर-ए-झांगवी सहित कई पाकिस्तान विरोधी समूहों के लिए वित्तीय मदद मुहैया करने वाला और हथियार आपूर्तिकर्ताओं के रूप में चित्रित किया था।
चीन द्वारा समर्थित यह लिस्ट इस्लामाबाद द्वारा भारत और आतंक को जोड़ने वाला एक प्रयास था। पाकिस्तान भारत को उस समय शर्मिंदा करना चाहता था, जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर हैं, और जहां आज संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने वाले हैं।
पाकिस्तान ने भारतीय इंजीनियर को आतंकी साबित करने का प्रयास मार्च में ही शुरू कर दिया था, जो कि KEC इंटरनेशनल के लिए काम करता था। यह कंपनी आरपीजी समूह की एक सहायक कंपनी है जो सालों से दुनिया भर में ट्रांसमिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में है, जो एक आतंकी समूह के लिए काम करती है। माना जाता है कि 2015 में पेशावर एयरबेस पर हमला करने के लिए यही जिम्मेदार थी, जिसमें 29 लोग मारे गए थे।
अधिकारियों के मुताबिक, दिलचस्प बात यह है कि न्यूयॉर्क में स्थित भारतीय राजनयिकों को 1267 प्रतिबंध समिति के इस कदम के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, क्योंकि भारत इसका सदस्य नहीं है। बहरहाल, डोंगरा अब भारत में है, वहीं केईसी के छह कर्मचारियों को तालिबान द्वारा बंधक बनाया गया है।
अधिकारियों के मुताबिक, अगर डोंगरा को नहीं निकाला जाता तो हो सकता है जिस तरह ईरान से कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने अगवा किया, उसी तरह अफगानिस्तान से आईएसआईस द्वारा अगवा कर लिया जाता। बता दें कि कुलभूषण जाधव अभी पाकिस्तान की जेल में बंद हैं और उनका मामला इंटरनेशनल कोर्ट में है।
डोंगरा एक मामूली किसान परिवार से आते हैं। उन्होंने पावर सिस्टम में अपना एमटेक पूरा किया। उनका पहला प्रोजेक्ट, 500 केवी सबस्टेशन अफगानिस्तान के बागलान प्रांत में दश्त-ए-अलवान जनवरी 2019 में पूरा हो गया था, जब वह प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में दोशी-बामियान ट्रांसमिशन लाइन पर काम कर रहे थे।