देशभर के मंदिरों में जJanmashtami की रौनक है। मथुरा से द्वारका तक जन्माष्टमी की धूम है। पुजारियों द्वारा मंदिरों में पूजा-अर्चना की जा रही है। श्रद्धालु अपने-अपने घरों में भी झांकियां सजाकर भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। कोरोना का साया Janmashtami पर भी पड़ा है, लेकिन नियम कायदे और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कृष्ण का जन्मोत्सव इस साल बिल्कुल एक अलग अंदाज में मनाया जा रहा है।

ज्यादातर मंदिरों में इस साल भक्तों के जाने की इजाजत नहीं है, लेकिन सभी के लिए ऑनलाइन दर्शन का दरवाजा खुला है। भक्त भी मानते हैं कि जब परिस्थितियां विकट हों तो दर्शन और पूजन का तरीका भी बदलना जरूरी है। देश में दिल्ली से द्वारका तक और मथुरा से नोएडा तक कृष्ण मंदिरों को संजाया संवारा गया है। बुधवार दोपहर से रोहिणी नक्षत्र शुरू हो चुका है और इसी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का द्वापर युग में जन्म हुआ था।
v
जन्माष्टमी पर ऑनलाइन दर्शन
इतिहास में पहली बार द्वारिकाधीश मंदिर में भक्तों को Janmashtami के मौके पर मंदिर में आकर दर्शन करने की इज्जात नहीं दी गई है। द्वारिकाधीश मंदिर ट्रस्ट के जरिए जन्माष्टमी पर्व के सीधे प्रसारण की व्यवस्था वेबसाइट पर की जा रही है। मंदिर में उसी तरह से श्रीकृष्ण Janmashtami मनाई जा रही है जैसे हर साल मनाई जाती रही है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस साल भगवान के दर्शन के लिए यहां मंदिर में श्रद्धालुओं को आने की अनुमति नहीं है।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिवस यानी कृष्ण Janmashtami हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर बलराम का जन्म हुआ था और अष्टमी तिथि पर भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। हमारे शास्त्रों और पुराणों में भगवान कृष्ण के जन्म का बहुत सुंदर वर्णन मिलता है।
श्रीमद्भगवतगीता में लिखा है, जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था तो उस समय पर रोहिणी नक्षत्र था। इस दिन अर्धरात्रि में सिर्फ भगवान कृष्ण के दर्शन करने के लिए चंद्रमा का उदय हुआ था।
