लॉकडाउन के बाद भी बांद्रा में कैसे उमड़ी भीड़, उठ रहे 5 बड़े सवाल

24 मार्च को तीन सप्ताह के लिए लॉकडाउन की घोषणा से दिल्ली में मजदूरों के बीच घर वापसी की मची होड़ के बाद किसी ने कल्पना नहीं की होगी कि ऐसा नजारा फिर कहीं देखने को मिलेगा। लेकिन, आज लॉकडाउन की मियाद बढ़ाने की घोषणा हुई तो फिर वही तस्वीर सामने आई। हां, इस बार इलाका दिल्ली का नहीं, मुंबई का था।

मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन के पास मंगलवार शाम हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। जानकारी के मुताबिक ये लोग प्रवासी मजदूर हैं जो अपने घर लौटने की आस में अफवाह के शिकार हो गए। ऐसे में कई सवाल उठने लगे हैं और इन सवालों की जद में शासन-प्रशासन से लेकर राज्य सरकार और तमाम एजेंसियां आ गई हैं जिन पर इस तरह की अफवाहों पर समय रहते काबू पाने की जिम्मेदारी होती है…

पहला सवाल- बीजेपी सांसद पूनम महाजन का कहना है कि लोगों के पास मेसेज किया गया था कि यहां से ट्रेन मिलेगी। आखिरकार ये मेसेज किसने किया और मुंबई पुलिस को इसकी भनक क्यों नहीं लगी?

दूसरा सवाल- मान लिया कि ये सब प्रवासी मजदूर थे और राशन पानी की उचित व्यवस्था न होने के चलते ये लोग अपने घरों की ओर जाना चाहते थे। मगर घर जाने वाले मजदूरों की भीड़ में किसी के भी पास बड़े बैग, थैले, सामान क्यों नहीं थे? क्या इनके घर लौटने की जिद का दावा झूठा है, बात कुछ और है?

तीसरा सवाल- लॉकडाउन के बाद ये भीड़ जामा मस्जिद के सामने ही क्यों इकट्ठा हुई और अगर हुई भी तो पुलिस को इसकी सूचना क्यों नहीं मिल पाई? क्या पुलिस का खुफिया तंत्र इतना कमजोर होता है कि हजारों की भीड़ इकट्ठा हो जाए और उसे पता ही न चले?

चौथा सवाल- कहा जा रहा है कि पीएम मोदी ने आज सुबह लॉकडाउन की मियाद बढ़ाने की घोषणा की तो ये मजदूर हताश हो गए और घरों के लिए निकल पड़े। सवाल यह है कि महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने पहले ही 30 अप्रैल तक लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान कर दिया था। तब मजदूर हताश क्यों नहीं हुए? क्या लॉकडाउन हटने का डेट महज 3 दिन आगे बढ़ने से मजदूरों में इतनी मायूसी बढ़कर गई कि वो घर जाने की जिद पर उतारू हो गए?

पांचवां सवाल- जानकार बताते हैं कि बांद्रा में न तो इतने प्रवासी मजदूर हैं और न ही बांद्रा रेलवे स्टेशन से बहुत ज्यादा ट्रेनें यूपी बिहार के लिए जाती हैं। यूपी बिहार के लिए सबसे ज्यादा ट्रेनें कुर्ला और लोकमान्य तिलक स्टेशन से जाती हैं। फिर इन लोगों को किसने कहा कि ट्रेन बांद्रा से खुलेंगी? अगर किसी ने नहीं कहा तो ये लोग यहां कैसे इकट्ठा हुए?

यह घटना प्रशासनिक विफलता का जीवंत उदाहरण है। पुलिस कमिश्नर का दफ्तर बगल में है। खुद CM एक-डेढ़ किमी की दूरी पर रहते हैं। ऐसी जगह पर अचानक 15 हजार लोग आ जाते हैं तो ये दृश्य आश्चयर्जनक है।’ एक बात गौरतलब है की बांद्रा में प्रवासी मजदूरों की संख्या कम है। ये पुरानी बस्ती है जो 70 में बसी थी। ‘पहले यहां स्लॉटर हाउस था। यहां प्रवासी मजदूर कहां से आए? इसका जवाब सरकार को देना होगा।’

समुदाय विशेष मामले की लीपापोती कर रहे हैं। उन्हें जवाब देना होगा कि ये कैसा षडयंत्र है। यहां जामा मस्जिद भी पास है। इसका जवाब सरकार को देना होगा। बीजेपी युवा मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद पूनम महाजन ने भी दावा किया है कि लोगों को ट्रेन खुलने के मैसेज मिले थे। इसकी जांच होनी चाहिए।

गृहमंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे को फोन कर बांद्रा में जमा भीड़ पर चिंता व्यक्त की। गृहमंत्री ने कहा कि इस तरह की घटनाएं देश को कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में कमजोर करती हैं। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सजग रहना जरूरी है। शाह ने सीएम उद्धव ठाकरे से भी फोन पर बात की। खबर है कि इस मामले में दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया है।

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