जब तक शिक्षा एक राजनीतिक मुद्दा नहीं बनता तब तक विकास की बातें खोखली एवं अधूरी है- आनन्द माधव

कलम सत्याग्रह के प्रमंडलीय शिक्षा संवाद की अंतिम कड़ी के आज दिनांक 7 मई (रविवार) को कैथोलिक चर्च, पूर्णिया में फादर फ़्रांसिस टिरकी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
इस संवाद में संवाद में राज्य के प्रमुख सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के अतिरिक्त राजनीति, शिक्षाविद, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, रंग कर्मी एवं शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए।


कार्यक्रम के आरंभिक भाषण में कलम सत्याग्रह अभियान के संयोजक, आनन्द माधव ने कहा कि बुनियादी शिक्षा में सुधार के बिना किसी भी विकास की परिकल्पना एक मिथ्या है। समाज में बदलाव तभी आ सकता है जब नकारात्मक राजनीतिक बहस को सकारात्मक बहस में बदला जाए, जिसके मूल में शिक्षा हो।कलम सत्याग्रह मंच का निर्माण बिहार में शिक्षा को एक राजनीतिक मुख्य मुद्दे के रूप में स्थापित करना है। श्री आनन्द ने बताया कि इस राज्य में कुल सरकारी विद्यालयों की संख्यां 72,663 है, लेकिन अगर उनकी स्थिति पर एक नजर डालें हैं तो वह भयावह है।


37.1 % स्कूलों को अपनी जमीन नहीं है।41.4 % स्कूल में लाइब्रेरी उपलब्ध नहीं है और 92.8 % स्कूलों में लाइब्रेरियन नहीं है। 97.9 % स्कूल में इंटेरनेन्ट नहीं है, और 94.5% स्कूल में कंप्युटर नहीं है, विडंबना यह कि हम डिजिटल युग में रह रहें हैं। 68.8 % स्कूल में कोई मेडिकल चेकअप की सुविधा उपलब्ध नहीं है। 61.6 % स्कूल में उस स्कूल के मुखिया यानि प्रधानाअध्यापक के लिए अलग से कोई कमरा नहीं है।56.1% स्कूल में खेल का मैदान उपलब्ध नहीं है। 16.6 % स्कूल ऐसे हैं, जहाँ कार्यरत बिजली नहीं है। दिव्यांगों के लिए 20.8 % स्कूल में रैम्प उपलब्ध नहीं है।


राज्य के विश्वविद्यालयों में परीक्षा एवं सत्र दोनों लंबित चल रहें हैं। हालाँकि सरकार निरंतर इस बात को कह रही है कि हम व्यवस्था सुधारेंगे तथा शीघ्र ही विश्वविद्यालय के स्तर को नियमित भी करेंगे।
अब हम एक नज़र पूर्णिया प्रमंडल में सरकारी विधालयों पर डालते हैं। इस प्रमंडल के 36.4% स्कूलों को अपना ज़मीन उपलब्ध नहीं है। 69.2% स्कूलों में प्रधानाध्यापक या हेडमास्टर के लिये अलग से कोई कक्षा नही हीरा।62.6% स्कूलों के पास खेल का मैदान नहीं है।53.2% स्कूलों के पास लाइब्रेरी या रीडिंग कार्नर नहीं है। 97.1% स्कूलों में लाइब्रेरियन उपलब्ध नहीं है। 80.6% स्कूलों में किचन गार्डन नहीं है। 10.9% स्कूलों में हाथ धोने तक की सुविधा नहीं है। दिव्यांगों के लिये 26.8% स्कूलों में कैंप नहीं है तो 55.2% स्कूलों में हैंड रेल उपलब्ध नहीं है। 66.4% स्कूलों में कोई मेडिकल चेकअप की सुविधा नहीं है। ये युग संचार का युग है पर विडंबना देखिए 98.6% स्कूलों में इंटरनेट और 94.5% स्कूलों में कंप्यूटर उपलब्ध नहीं है। दरअसल हमारी शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। हम सरकारी संस्थाओं को समुचित सुविधा उपलब्ध करानें की जगह उसे खोखला करते जा रहे हैं।
श्री आनन्द ने कहा कि कलम सत्याग्रह आज अपनी प्रतिबद्धता दुहराता है और यह तय करता है कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था में सुधार आने तक हम अपना अभियान जारी रखेंगे और अगर परिस्थिति नहीं बदली तो ये अभियान आन्दोलन का भी रूप ले सकता है।बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में कलम सत्याग्रह एक दबाव समूह के रूप में भी काम करेगा और सरकार चाहेगी तो कदम कदम पर हम उसका सहयोग भी करेगें।


राइट टू एजुकेशन फ़ोरम बिहार के संयोजक डा. अनिल कुमार राय ने कहा कि जिस तरह प्राचीन काल में कमजोर वर्ग को पढ़ने से वंचित रखा जाता था उसी तरह नई शिक्षा नीति दलित, आदिवासी, महिला आदि को शिक्षा से वंचित रखनें का षड्यंत्र है। समाज को अपनें बच्चों के भविष्य की चिंता करते हुए इस षड्यन्त्र को रोकने के लिये आवाज़ उठानें की ज़रूरत है एवं शिक्षा नीति 2020 को वापस लिये जाने की जन माँग उठना चाहिये। यह हमारे देश के बच्चों के भविष्य के लिये घातक है। श्री राय ने इस बात पर बल दिया कि सबको गुणवत्ता पूर्ण समान शिक्षा मिले एवं पड़ोस के विधायक की अवधारणा को लागू किया जाना चाहिये।


कलम सत्याग्रह के संस्थापक सदस्य फादर जोसे करियाकट ने अपनें भाषण में कहा कि कलम सत्याग्रह के रूप में बिहार के शिक्षा एवं मानव विकास से जुड़े विभिन्न संगठनों ने संयुक्त रुप से बिहार में शिक्षा की बदहाली पर चिंता प्रकट करते हुए एक साथ नागरिक आंदोलन की परिकल्पना की है। सबको शिक्षा एवं समान शिक्षा ही एक विकसित समाज की कल्पना कर सकते हैं। जहां समाज शिक्षित है वहाँ लोग शांति से हैं, सकूँ से हैं।
सेंट पीटर स्कूल के प्राचार्य फादर मनोज ने कहा कि शिक्षा सबके केनाल में है। इसके बिना सब अधूरा है।
दलित अधिकार मंच के अध्यक्ष कपिलेश्वर राम ने कहा कि बाबा साहेब ने शिक्षा को आवश्यक बता और कहा कि प्रगति के लिये शिक्षा ज़रूरी है, शिक्षा से ही आप अपने उपर हो रहे शोषण के कारणों का भी पता कर सकते हैं। कलम सत्याग्रह को एक अभियान नहीं वरना एक जीवन शैली के रूप में हम सबको अपनाना होगा।कलम सत्याग्रह का उद्देश्य शिक्षा के लिये जन-भागीदारी, जन-अधिकारपत्र एवं जन-अंकेक्षण जन-आंदोलन द्वारा स्थापित करना है।हमसे इस अभियान के साथ तन मन धन से हैं।


पूर्णिया ज़िला कांग्रेस की अध्यक्षा इंदू सिन्हा ने कहा कि इस ज़िले में शिक्षा की स्थिति बहुत दयनीय है, इसमें सुधार के लिये कलम सत्याग्रह का हम पूरा सहयोग करेंगे।
टीईटी शिक्षक संघ के संयोजक अमित विक्रम ने कहा कि शिक्षकों सुधार के लिये सिर्फ़ शिक्षकों को दोष नहीं दिया जा सकता, इसके लिये महत्वपूर्ण है शैक्षणिक वातावरण के निर्माण की, समान कार्य के लिये समान वेतन की। शिक्षकों को तो छ माह से अधिक अन्य कार्यों में व्यस्त रखा जाता है चाहे वह चुनाव हो या जनगणना या फिर कुछ।
बिहार सोशल मीडिया के अध्यक्ष सौरभ सिन्हा ने मंच का संचालन करते हुए कहा कि हम सब मिलकर इस कलम सत्याग्रह को हम समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति के पास ले जायेगें। क्योंकि स्कूलें पहले उनकर पहुँचना आवश्यक है।उन कारणों को खोजना आवश्यक है जिसके कारण हमारी शिक्षा व्यवस्था चौपट है और हम एक लेबर सप्लाई स्टेट बनकर रह गये हैं।


कार्यक्रम में डा. राम शरण मेहता, त्रिपुरारी शर्मा, सूरज गुप्ता, सुशीला भारती, आशीष झा, आलोक आनन्द, संजय सिंधू, दिनकर स्नेही। सैयद अहसन तकवीम, रॉकी अली, इजाज़ अहमद, में. सद्दाम, विश्वनाथ राम कुशवाहा, मनोज कुमार सिंह,सिस्टर वंदिता, नीरज नयन आज़ाद, चम्मन, मुंशी यादव आदि ने भी शिक्षकों सुधार के लिये अपने सुझाव दिये।

दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1 Kisi Ka Bhai Kisi Ki Jaan | शाहरुख की पठान के साथ सलमान के टीजर की टक्कर, पोस्टर रिवील 200करोड़ की ठगी के आरोपी सुकेश ने जैकलीन के बाद नूरा फतेही को बताया गर्लफ्रैंड, दिए महँगे गिफ्ट #noorafatehi #jaqlein #sukesh