नागरिकता संशोधन कानून पर विरोध प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश के कई शहरों में इंटरनेट सेवाएं बंद किए जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीर रवईया अपनाया है। हाईकोर्ट ने इंटरनेट सेवाएं बंद करने के मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने सरकार से अगले कार्य दिवस पर हलफनामे के जरिये अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
मामले की सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस गोविंद माथुर की कोर्ट ने इस मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि इंटरनेट आम लोगों की जिंदगी से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है और इसकी सेवाएं बंद होने से न सिर्फ कई जरूरी सेवाएं प्रभावित हुई हैं, बल्कि आम जनजीवन भी प्रभावित हुआ है। अदालत ने इस मामले में कहा है कि इंटरनेट जैसी सेवाएं बेहद विपरीत परिस्थितियों में ही बंद होनी चाहिए। हालांकि अदालत ने प्रभावित जगहों पर इंटरनेट सेवाएं फौरन बहाल किये जाने का कोई आदेश नहीं दिया है।
एडिशनल एडवोकेट जनरल एके गोयल ने कोर्ट में पेश होकर कहा कि कानून व्यवस्था के लिए खतरा पैदा होने की वजह से यह कदम उठाना पड़ा। फिलहाल पाबंदी सिर्फ शनिवार तक के लिए है। अदालत ने सेवाएं बंद होने का ठोस आधार बताए जाने का हलफनामा देते हुए जवाब तलब किया है। यूपी सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिन का वक्त दिया गया है। अदालत इस मामले में तीन जनवरी को फिर से सुनवाई करेगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश पांडेय और सीनियर एडवोकेट रवि किरण जैन समेत कई दूसरे वकीलों ने चीफ जस्टिस के कोर्ट में उपस्थित होकर उन्हें इंटरनेट सेवाएं बंद होने की जानकारी दी और इससे लोगों को हो रही परेशानियों के बारे में बताया। अदालत ने इस पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर उससे जवाब-तलब किया है।
