Pranab Mukherjee last rites

प्रणब मुखर्जी को दी जा रही अंतिम विदाई,राष्ट्रपति और पीएम मोदी समेत कई दिग्गजों ने दी श्रद्धांजलि

पांच दशक की दलीय राजनीति के बाद राष्ट्रपति के रूप में देश को नई दिशा देने वाले भारत रत्न Pranab Mukherjee का सोमवार को दिल्ली के सैन्य अस्पताल में निधन हो गया। 84 वर्षीय प्रणब 10 अगस्त से अस्पताल में भर्ती थे। अंतिम दर्शन के लिए प्रणब के पार्थिव शरीर को उनके आवास 10 राजाजी मार्ग पर लाया गया है। यहां पहुंचकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य दिग्गजों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। दोपहर दो बजे लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में अंतिम संस्कार किया जाएगा।

गृहमंत्री अमित शाह ने Pranab Mukherjee की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि पूरे देश के लिए गहरे दुख और सदमे की बात है कि भारत रत्न Pranab Mukherjee हम सबके बीच में नहीं रहे। सबको साथ रखने की कला में Pranab Mukherjee को महारत थी। जब सत्ता में थे तो विपक्ष के लोगों के साथ तालमेल बिठाने में वो हमेशा काम करते रहे। जब विपक्ष में रहे तब रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने में भी कभी पीछे नहीं हटे।


बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूर्व राष्ट्रपति Pranab Mukherjee को उनके आवास, 10 राजाजी मार्ग पर श्रद्धांजलि दी।


कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूर्व राष्ट्रपति Pranab Mukherjee को उनके आवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी यहां पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।


पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति Pranab Mukherjee को उनके आवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हें यहां श्रद्धांजलि दी।


भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस के नेता अधिर रंजन चौधरी और भाकपा नेता डी. राजा ने पूर्व राष्ट्रपति Pranab Mukherjee को उनके आवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी।


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने पूर्व राष्ट्रपति Pranab Mukherjee को उनके आवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया और नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।


आर्मी अस्पताल में थे भर्ती

प्रणब की विशाल शख्सियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जुलाई, 2012 में राष्ट्रपति पद पर आसीन होने से पहले वह रक्षा व वित्त जैसे अहम मंत्रालय संभाल चुके थे। उन्हें 10 अगस्त को दोपहर में दिल्ली कैंट स्थित आरआर (रिसर्च एंड रेफरल) अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनके मस्तिष्क में खून का थक्का जम गया था, जिसकी सर्जरी हुई थी। उसी दिन जांच में कोरोना संक्रमित भी पाए गए। ऑपरेशन के बाद सेहत में सुधार नहीं हुआ। वह कोमा में थे और उनके फेफड़े व किडनी में संक्रमण हो गया था। उन्हें वेंटीलेटर सपोर्ट देना पड़ा था।


सात दिन का शोक घोषित

सोमवार शाम 4:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। राष्ट्रीय राजनीति में पांच दशक तक अपनी क्षमता का लोहा मनवाने वाले प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति थे। केंद्र सरकार ने उनके सम्मान में सात दिन (31 अगस्त से 6 सितंबर) का शोक घोषित किया है। राष्ट्रपति भवन और संसद भवन के झंडे झुका दिए गए हैं। विलक्षण राजनीतिक प्रतिभा के कारण उन्हें चाणक्य, संकटमोचक जैसे कई विशेषण दिए जाते रहे हैं। 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। प्रणब के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम मोदी, अमित शाह, राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया।


एक संत की तरह भारत माता की सेवा की- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शोक जताते हुए कहा कि Pranab Mukherjee के निधन से एक युग का अंत हो गया। उनका सार्वजनिक जीवन महान था। उन्होंने एक संत की तरह भारत माता की सेवा की। राष्ट्र को अपना मूल्यवान बेटा खोने का दुख है।


राष्ट्रपति भवन को ज्ञान, विज्ञान एवं संस्कृति का केंद्र बना दिया- पीएम मोदी

प्रणब मुखर्जी की मौत पर शोक जताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अपने राजनीतिक सफर में प्रणब दा ने कई अहम मंत्रालय संभाले। वह दिग्गज राजनेता और प्रखर विद्वान थे। 2014 में मैं दिल्ली में नया था। पहले दिन से ही मुझे प्रणब दा का सहयोग एवं आशीर्वाद मिला। उनसे हुई बातें मुझे हमेशा याद आएंगी। उन्होंने राष्ट्रपति भवन को ज्ञान, विज्ञान एवं संस्कृति का केंद्र बना दिया।
प्रणब दा के पिछले 50 वर्ष भारत के 50 वर्ष के इतिहास की झलक हैं- सोनिया

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि प्रणब दा कांग्रेस का इस तरह हिस्सा रहे कि यह सोचना मुश्किल है कि उनके ज्ञान, अनुभव, सुझाव एवं समझ के बिना हम कैसे चलेंगे। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा। उनके पिछले 50 वर्ष भारत के 50 वर्ष के इतिहास की झलक हैं।

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