भारत की कूटनीति का असर, चीन ने अलापा शांति का राग, नेपाल भी विवादित नक्शे पर हटा पीछे

भारत ने जबरदस्त कूटनीति का नमूना पेश करते हुए सीमा विवाद के मुद्दे पर चीन और नेपाल को एकसाथ बैकफुट पर धकेल दिया। लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर तनाव के बीच चीन ने जहां अचानक शांति का राग अलापना शुरू कर दिया है, तो नेपाल ने भी नक्शा विवाद मामले में विधेयक वापस ले लिया है। इससे विवादित नक्शे से जुड़ा विधेयक नेपाली संसद में पास नहीं हो पाया।

मंगलवार को सेना को तैयार रहने का निर्देश देने के बाद बुधवार को पहले चीनी विदेश मंत्री ने सीमा पर भारत के साथ सीमा पर स्थिति को स्थिर और नियंत्रण में बताया। वहीं, भारत में चीन के राजदूत ने मतभेदों को बातचीत के जरिए मिटाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चाइनीज ड्रैगन और भारतीय हाथी एक साथ नृत्य कर सकते हैं। चीनी राजदूत ने एक कार्यक्रम में कहा भारत-चीन शांति एकमात्र सही विकल्प है। उन्होंने मतभेद समाप्त करने के लिए तंत्र का हवाला देते हुए कहा मतभेद का असर संबंधों पर नहीं पड़ना चाहिए। विडोंग ने आगे कहा कि चीन और भारत COVID-19 के खिलाफ साझी लड़ाई लड़ रहे हैं और हम पर अपने रिश्तों को और प्रगाढ़ करने की जिम्मेदारी है।

नेपाल में नक्शा विवाद पर प्रमुख विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस के रुख को देखते हुए PM केपी शर्मा ओली को अपना कदम पीछे खींचना पड़ा। नेपाल ने नक्शा विवाद से जुड़ा विधेयक नेपाली संसद से वापस ले लिया है। नक्शे को कानूनी वैधता के लिए संसद में दो तिहाई समर्थन की जरूरत थी। ये माना जा रहा है कि नेपाल ने इस कदम से भारत के साथ बातचीत का रास्ता खुला रखा है। जानकारों का कहना है कि ताजा घटनाक्रम भारत की कूटनीतिक जीत है। लेकिन भारत को सजग रहते हुए इस मुद्दे से निपटना होगा।

नेपाली कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक में मंगलवार शाम को PM केपी ओली को इस बात से अवगत कराया था कि इस मामले में उसे कुछ और समय चाहिए। इसके बाद नए नक्शे की मंजूरी के लिए संविधान संशोधन बिल को संसद की कार्यसूची से हटा लिया गया।

गौरतलब है कि भारत ने कालापानी और लिपुलेख को शामिल कर बनाए गए नए नेपाली नक्शे को खारिज कर दिया था। भारत ने कहा था नेपाल बातचीत के लिए उपयुक्त माहौल बनाए। दोनों देशों के बीच रिश्तों में तब तनाव आ गया था जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था। नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया था कि यह नेपाली सीमा से होकर जाती है।

भारत ने नेपाल के दावे को खारिज करते हुए कहा था कि सड़क पूरी तरह से उसकी सीमा में है। नेपाल सरकार ने पिछले हफ्ते नेपाल का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक मानचित्र जारी किया था जिसमें लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को उसके भू-भाग में दर्शाया गया था। इसपर नाराजगी जताते हुए भारत ने नेपाल से स्पष्ट रूप से कहा था कि वह अपने भूभाग के दावों को फालतू हवा ना दे और मैप के जरिये गैर न्यायोचित दावे करने से बचे।

नक्शा जारी करने के बाद नेपाल के PM केपी शर्मा ओली लगातार भारत को निशाना बनाने के लिए बयानबाजी कर रहे थे। उन्होंने नेपाल में कोरोना संक्रमण के लिए भी भारत को जिम्मेदार ठहराया था। माना जा रहा था कि नेपाल के इस कदम के पीछे चीन की भूमिका हो सकती है। क्योंकि ओली की अगुवाई वाली कम्युनिस्ट पार्टी को चीन का समर्थक माना जाता है। हालांकि नेपाल में बड़ा वर्ग इस विवाद को भारत के साथ बातचीत के जरिये निपटाने के लिए दबाव बना रहा था।

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