चंपई के पास है नंबर या होगा गेम ओवर? झारखंड सरकार की अग्नि परीक्षा पर सबकी नजर

झारखंड में सत्ता गठबंधन के पास बहुमत से चंद विधायक ही अधिक हैं. ऐसे में सोमवार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट को लेकर जेएमएम की चिंता बढ़ी हुई है. इस बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के विधायक लोबिन हेम्ब्रोम की बगावत से अटकलों का बाजार गर्म हो गया है.

लैंड स्कैम मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन ने गठबंधन सरकार की बागडोर संभाली है. पांच फरवरी से झारखंड विधासनभा का दो दिवसीय सत्र है. सोमवार को विधानसभा में विश्वास मत पेश किया जाएगा. विधानसभा के सत्र में भाग लेने के लिए झारखंड के विधायक रविवार की रात को झारखंड पहुंचे और रात को रांची सर्किट हाउस रहेंगे. वहां से सोमवार को सीधे विधानसभा जाएंगे. वहां विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी, लेकिन उसके पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के विधायक लोबिन हेम्ब्रोम की बगावत और तीन विधायकों के नदारद रहने से अटकलें तेज हो गई हैं. यह कहा जा रहा है कि क्या चंपई सरकार के पास नंबर है या फिर कल गठबंधन सरकार का गेम ओवर हो जाएगा?

बता दें कि झारखंड में कुल विधायकों की संख्या 81 है और विधानसभा का जादुई नंबर 41 है. चंपई सरकार के पास 48 विधायक हैं. इनमें जेएमएम के 29, कांग्रेस के 16, राजद के 1 और सीपीआई (लिबरेशन) के एक विधायक हैं. फिलहाल चंपई सोरेन को कुल 43 विधायकों का समर्थन प्राप्त है.

बिशुनपुर से जेएमएम विधायक चमरा लिंडा ने बगावती तेवर अपना लिए हैं. तीन और विधायकों की स्थिति साफ नहीं है. गठबंधन का दावा है कि वे बीमार हैं. उनके गायब होने से ही संशय बना हुआ है. इसके बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि विश्वास मत के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा और गठबंधन के कितने विधायक विधानसभा में हाजिर रहेंगे और कितने सरकार बचाने के लिए मतदान करेंगे.

बिहार में बदली सरकार, नीतीश ने मारी पलटी

हाल ही में पड़ोसी राज्य बिहार में सरकार बदल गई. एनडीए गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद शामिल हुए थे. उससे कुछ महीने पहले महाराष्ट्र में भी इसी बीजेपी विरोधी गठबंधन की सरकार गिरती हुई नजर आई थी.

कुछ दिन पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया था कि बीजेपी उनके सात विधायकों को 25- 25 करोड़ रुपये में खरीदने की कोशिश कर रही है. ऐसे में विपक्ष ने नये मुख्यमंत्री की सरकार को झारखंड में भी संख्यात्मक श्रेष्ठता साबित करने की चुनौती दी है. हालांकि, सतर्क झामुमो ने कोई जोखिम नहीं उठाया और गठबंधन सरकार के 40 विधायकों को हैदराबाद के एक रिसॉर्ट में भेज दिया.

क्या जादुई अंक का आंकड़ा छू पाएगी चंपई सरकार?

इस बीच, चंपई सोरेन का समर्थन करने वाले विधायकों में असंतोष का सुर उठ रहा है. झामुमो के एक विधायक लोबिन हेम्ब्रोम ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की खुलेआम आलोचना की, जिनके इस्तीफे से नई सरकार का गठन शुरू हुआ. इसके अतिरिक्त, तीन और विधायक कथित तौर पर लापता है, जिससे गठबंधन के बहुमत की मजबूती के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं. हालांकि फिलहाल हिरासत में बंद हेमंत सोरेन भी विशेष अदालत की सहमति से फ्लोर टेस्ट में शामिल होंगे.

दूसरी ओर, बीजेपी के विधायकों की संख्या 25 विधायक और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU), यानी आजसू के तीन विधायक, एनसीपी एवं एक वामपंथी दल के पास एक-एक विधायक है. इसके साथ ही तीन निर्दलीय विधायक भी हैं

सत्ता गठबंधन के पास बहुमत से चंद विधायक ही अधिक हैं. ऐसे में जेएमएम की चिंता बढ़ी हुई है. हालांकि सत्ता गठबंधन के नेता इस बात पर जोर देते रहे हैं कि उनके पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त विधायक हैं. चंपई सोरेन ने रविवार को कानून व्यवस्था की की समीक्षा की. पार्टी विधायकों का कहना है कि 43 विधायकों की सूची राज्यपाल को दी गई थी. यह आंकड़ा 46-47 तक पहुंच जाएगा. सरकार को कोई खतरा नहीं है.

चंपई सरकार को लेकर अटकलें तेज

सभी 40 विधायकों को शुक्रवार को तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के पास एक रिसॉर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था. रविवार को झारखंड की राजधानी रांची लौटे. विधायक सर्किट हाउस में रुकेंगे और सोमवार को निजी बस से नेशनल असेंबली ले जाए जाएंगे. शनिवार को रांची की एक विशेष अदालत ने हेमंत सोरेन को राज्य विधानसभा में विश्वास मत में शामिल होने की अनुमति दे दी.

उन्हें शुक्रवार को पांच दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया गया. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील भी दायर की. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और उन्हें उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा.

उन्हें शुक्रवार को पांच दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया गया. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील भी दायर की. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और उन्हें उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा.

बुधवार को अपनी गिरफ्तारी के कुछ घंटों बाद, हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन को अपना उत्तराधिकारी नामित किया. चंपई सोरेन ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जबकि अन्य दो ने मंत्री पद की शपथ ली. शपथ ग्रहण समारोह के बाद राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने चंपई सोरेन को 10 दिनों के भीतर बहुमत साबित करने को कहा है.

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