Bundelkhand Express News: पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शनिवार को जालौन (Jaluan) में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expressway) का उद्घाटन किया। वह सुबह ही विशेष विमान से कानपुर (Kanpur) एयरपोर्ट पहुंचे जहां सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने उनका स्वागत किया था. इसके बाद वह जालौन के लिए रवाना हो गए। बता दें कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expressway) पीएम मोदी की महात्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है जिसका शिलान्यास उन्होंने ही दो साल पहले किया था।
2020 में पीएम मोदी ने किया था शिलान्यास
पीएम नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2020 में एक्सप्रेसवे का शिलान्यास किया था जिसे फरवरी 2023 में पूरा किया जाने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन कोरोना संकट के बावजूद इसे 8 महीने पहले ही पूरा कर लिया गया है। एक्सप्रेसवे के निर्माण से सरकार और इस परियोजना से जुड़े अधिकारियों में उत्साह है वहीं विपक्ष विशेषकर समाजवादी पार्टी लगातार हमलावर रही है।
दौरे से पहले सुरक्षा के कड़े इंतजाम
उधर, पीएम मोदी के दौरे से पहले सुरक्षा चाक-चौबंद की गई। पीएसी पुलिस और अर्धसैनिक बलों को संवेदनशील इलाकों पर तैनात किया गया। शीर्ष पुलिस अधिकारी सीसीटीवी और पीटीजेड कैमरे के जरिए निगरानी रख रहे थे। उल्लेखनीय है कि जून में पीएम मोदी के कानपुर दौरे के दिन हिंसक घटनाएं हुई थीं और इसके बाद से ही ज्यादा सतर्कता बरती गई है। ऐसे में कानपुर जिला प्रशासन और पुलिस ने तैयारियों को अंजाम दिया और अराजक तत्व किसी तरह की अप्रिय घटना को अंजाम न दे पाएं, इसके लिए भी सभी जरूरी तैयारी की गई।
296 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे की यह है खासियत
296 किलोमीटर के दायरे में फैले एक्सप्रेसवे से अब दिल्ली से चित्रकूट जाने का समय लगभग आधा हो जाएगा। पहले जहां 12 से 14 घंटे लगते थे वहीं यह दूरी अब 6 घंटे में पूरी कर ली जाएगी। बताया जाता है कि इस एक्सप्रेसवे की जमीन खरीदने में 2200 करोड़ रुपये लगे थे और निर्माण 14,850 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। एक्सप्रेसवे की दूसरी खासियत यह है कि इस पर 15 से ज्यादा फ्लाईओवर, 10 से अधिक बड़े पुल, 250 से अधिक छोटे पुल, 6 टोल प्लाजा और चार रेलवे पुल मौजूद हैं।
इस मौके पर पीएम मोदी के भाषण की 10 प्रमुख बातें यें हैं:
15 अगस्त तक पूरे महीने, हिंदुस्तान के हर घर और हर गांव में आजादी का अमृत महोत्सव मनना चाहिए और शानदार तरीके से मनना चाहिए।
भारत में खिलौने बनाना पारंपरिक व्यवसाय रहा है. मैंने खिलौना उद्योगों को नए सिरे से काम करने का आग्रह किया था। लोगों से भी भारतीय खिलौने खरीदने का आग्रह किया था। सरकार के स्तर पर जो काम जरूरी थे, वो भी हमने किया। इसका नतीजा ये निकाला कि आज विदेश से आने वाले खिलौनों की संख्या बहुत बड़ी संख्या में कम हो गई है। साथ ही भारत से अब बड़ी संख्या में खिलौने विदेश में जाने लगे हैं।
केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के लिए हजारों करोड़ रुपये स्वीकृत किए जा चुके हैं, इससे बुंदेलखंड के बहुत बड़े हिस्से का जीवन बदलने वाला है। आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर हमने देश में अमृत सरोवरों के निर्माण का संकल्प लिया है।
बुंदेलखंड के विकास में बहुत बड़ी ताकत यहां के कुटीर उद्योगों की भी है। आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी सरकार द्वारा इस कुटीर परंपरा पर भी बल दिया जा रहा है। मेक इन इंडिया इसी कुटीर परंपरा से सशक्त होने वाला है।
डबल इंजन की सरकार मुफ्त की रेवड़ी बांटने का शॉर्टकट नहीं अपना रही, बल्कि मेहनत करके राज्य के भविष्य को बेहतर बनाने में जुटी है। रेवड़ी कल्चर वाले कभी आपके लिए नए एक्सप्रेसवे नहीं बनाएंगे, नए एयरपोर्ट या डिफेंस कॉरिडोर नहीं बनाएंगे। रेवड़ी कल्चर वालों को लगता है कि जनता जनार्दन को मुफ्त की रेवड़ी बांटकर, उन्हें खरीद लेंगे।
हमें मिलकर उनकी इस सोच को हराना है, रेवड़ी कल्चर को देश की राजनीति से हटाना है। आजकल हमारे देश में मुफ्त की रेवड़ी बांटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की कोशिश हो रही है। ये रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए बहुत घातक है। इस रेवड़ी कल्चर से देश के लोगों को बहुत सावधान रहना है।
एक समय में यूपी में सिर्फ 12 मेडिकल कॉलेज थे, आज यूपी में 35 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज हैं और 14 नए मेडिकल कॉलेज में काम चल रहा है। डबल इंजन की सरकार में आज यूपी जिस तरह आधुनिक हो रहा है, ये अभूतपूर्व है।
जिस यूपी में सरयू नहर परियोजना को पूरा होने में 40 साल लगे, जिस यूपी में गोरखपुर फर्टिलाइजर प्लांट 30 साल से बंद बड़ा था, जिस यूपी में अर्जुन डैम परियोजना को पूरा होने में 12 साल लगे। जिस यूपी में अमेठी रायफल कारखाना सिर्फ एक बोर्ड लगाकर खड़ा था, जिस यूपी में रायबरेली रेल कोच फैक्ट्री सिर्फ डिब्बों का रंग-रोगन करती थी, उस यूपी में आज इतनी गंभीरता से काम हो रहे हैं कि उसने अच्छे-अच्छे राज्यों को भी पीछे छोड़ दिया है।
इस एक्सप्रेसवे के बगल में जो स्थान हैं, वहां बहुत सारे किले हैं। यूरोप के बहुत सारे देशों में किले देखने का बहुत बड़ा पर्यटन उद्योग चलता है। मैं आज योगी जी की सरकार से कहूंगा कि अब बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे बनने के बाद आप भी इन किलो को देखने के लिए एक शानदार टूरिज्म सर्किट बनाइये।
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से चित्रकूट से दिल्ली की दूरी तो 3-4 घंटे कम हुई ही है, लेकिन इसका लाभ इससे भी कहीं ज्यादा है। ये एक्सप्रेसवे यहां सिर्फ वाहनों को गति नहीं देगा, बल्कि ये पूरे बुंदेलखंड की औद्योगिक प्रगति को गति देगा।