जब बिना पद के सेवा करते आ रहे हैं तो पद मिलने के बाद सिर्फ 1 साल में होगा काम बेमिसाल : डेज़ी कुमारी

बड़हिया नगर परिषद् का चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहा है। सभी प्रत्याशियों ने वार्डों और गलियों की ख़ाक छाननी शुरू कर दी है। कोई सड़क की बदहाली को मुद्दा बता रहा है, तो कोई शिक्षा को, कोई स्वास्थ्य की बदतर व्यवस्था को कोसता है तो कोई जलजमाव को ही प्रमुख मुद्दा बता रहा है।

माँ बाला त्रिपुर सुंदरी का विशाल मंदिर यहाँ का सबसे दर्शनीय व् पवित्र स्थल माना जाता है जहाँ दूर दूर से लोग दर्शन करने आते हैं। बावजूद इसके यहाँ नाली, पानी, सड़क, स्कूल, स्वास्थ और जाम जैसी जरुरी चीजों पर जरुरत से काफी कम ध्यान दिया गया। बड़हिया की जमीनी हकीकत जब हमारी टीम तलाशने निकली तो पता चला की जो भी कुर्सी पर बैठा उसने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।

सभी प्रत्याशी काफी व्यस्त हैं जनसम्पर्क जोरों पर है। हमारी पड़ताल में सबसे बड़ी भीड़ डेज़ी कुमारी जो की अध्यक्ष पद की उमीदवार हैं उनके साथ दिखी। हमारी टीम ने जब उनसे पूछा की सिर्फ एक कारण बातइए की आपको ही क्यों वोट दे जनता, तो इस सवाल पर डेज़ी कुमारी ने कहा की पिछले दस सालों से मेरे पति बिना पद के बड़हिया की जनता की सेवा कर रहे हैं, हर जरूरतमंद के साथ खड़े हैं, बीमार को इलाज, बेरोजगार को रोजगार और मुसीबत में घिरे को सहारा दे रहे है। तो सोचिये अगर उनके हाथों को मजबूती मिलेगी तो क्या बड़हिया को बेहतर बनाने में आसानी नहीं होगी। इतना बोलकर डेज़ी कुमारी अपने काफिले के साथ आगे निकल गयी।

हमने बाकी प्रत्याशियों से भी बात करनी चाही (हम व्यक्तिविशेष का नाम नहीं इंगित करना चाहते) तो उसी सवाल के जवाब में हमें मुद्दे गिनाये जाने लगे या अपने कार्यकाल को अच्छा बताया जाने लगा। लेकिन किसी के पास भी डेज़ी कुमारी जैसा सटीक जवाब नहीं था। लगा मानो कहना चाहते हैं की पद पर बैठा दो बाकी हम देख लेंगे। इसके उलट डेज़ी कुमारी के पति सुजीत कुमार समाजसेवी और प्रखर वक्त हैं। चाहे कोरोना की त्रासदी हो, या हार साल बाढ़ और जलनिकासी की समस्या या हो बिजली, पानी या एम्बुलेंस की व्यवस्था यह अपने निजी संसाधनों से आम जनता को मुहैया कराते आ रहे हैं।

कोरोना काल में कई ट्रेनों का पड़ाव बड़हिया से उठा लिया गया था जिसके विरोध में कई दिनों तक सुजीत कुमार ने रेल परिवहन पर दबाव बनाया और एक मुहीम छेड़ी जिसके फलस्वरूप बड़हिया में मुख्य ट्रेनों का पांडव पुनः बहाल हो पाया और यहाँ के लोगों को सुविधा हुई। यह सभी जानकारियां हमें बड़हिया के ही आम लोगों ने प्रदान की हैं।

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