पुलवामा में पिछले साल हुए फिदायीन हमले की जांच में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को मल्टिनैशनल कंपनी ऐमजॉन का सहयोग भी मिला। ऐमजॉन ने उस खरीददार की डिटेल्स साझा की, जिसने ई-कॉमर्स साइट का उपयोग कर IID ब्लास्ट में उपयोग होने वाली सामग्री मंगाई थी। गौरतलब है कि पिछले साल 14 फरवरी को पुलवामा में CRPF के काफिले पर आत्मघाती हमला हो गया था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे।
NIA के आग्रह पर ऐमजॉन के भारत में स्थित ऑफिस ने खरीददार के ऑनलाइन शॉपिंग अकाउंट के डिटेल्स मुहैया कराए, जिसके आधार पर श्रीनगर के रहने वाले वैज-उल-इस्लाम (19) को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया। NIA ने इसके साथ ही आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार सहित पुलवामा हमले के षड्यंत्रकारियों को पनाह देने के जुर्म में पुलवामा के निवासी मोहम्मद अब्बास राथर को भी गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में वैज ने बताया कि उसने अपने ऐमजॉन ऑनलाइन शॉपिंग अकाउंट के इस्तेमाल से बम बनाने वाले पदार्थों को मंगाया था। उसने पाकिस्तान में बैठे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों के निर्देश पर IID बनाने के लिए अमोनियम पाउडर जैसे रसायन, बैट्री, सहित अन्य वस्तुएं मंगाई। ऑनलाइन सभी चीजें मंगा लेने के बाद उसने खुद ही जैश के आतंकवादियों को सौंपा, जिन्होंने इसका इस्तेमाल पुलवामा हमले में किया। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अपराध के समय वैज नाबालिग था या फिर नहीं। हालांकि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वह आतंक का आरोपी है और बालिग के तौर पर ट्रायल चल सकता है।
जैश के आतंकवादी रह चुके अब्बास ने NIA को बताया कि उसने अप्रैल-मई 2018 में कश्मीर में आने के बाद IID एक्सपर्ट मोहम्मद उमर को अपने घर पर जगह दी थी। उसने पुलवामा के सूइसाइड हमलावर आदिल अहमद डार, समीर अहमद डार और पाकिस्तानी आतंकवादी कामरान को कई बार अपने घर में पनाह दिया था। उसने आतंकवादियों को ठहराने के लिए पुलवामा के ही तारिक अहमद शाह के घर का भी इस्तेमाल किया था, जिसे बेटी इंशा जन के साथ गिरफ्तार किया जा चुका है। वैज और अब्बास को जम्मू में NIA की स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस तरह NIA ने पुलवामा केस में अभी तक 5 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें आत्मघाती हमलावर डार को घटनास्थल तक ले जाने वाला शाकिर बशीर मागरे शामिल है।
पुलवामा हमले की 14 फरवरी को ही पहली बरसी थी। आतंकी हमले में CRPF के 40 जवानों की शहादत के बाद सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में पांच संदिग्धों को मार गिराया था। माना जाता है कि ये पांचों हमले के षड्यंत्रकारी थे। सभी संदिग्ध आतंकियों की मौत के बाद पुलवामा अटैक से जुड़े कई सवाल आज भी अनसुलझे हैं। संदिग्धों की मौत के कारण पूरी साजिश का पता नहीं चल पा रहा है। NIA अब तक इस मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई है, जबकि इतने बड़े मामले में 90 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल हो जानी चाहिए थी।