आज निर्भया कांड को 7 साल पूरे हो रहे हैं और आज के दिन ही इस मामले में एक अहम मोड़ सामने आया है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने निर्भया के गुनाहगार विनय शर्मा के उस दावे को खारिज किया है जिसमें उसके वकील ने कहा था कि विनय शर्मा ने फांसी से बचने के लिए कोई दया याचिका राष्ट्रपति के सामने नहीं लगाई है।
राष्ट्रपति भवन को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि विनय शर्मा ने 4 नवंबर 2019 को एक दया याचिका राष्ट्रपति के सामने लगाई थी और यह याचिका तिहाड़ जेल प्रशासन के अधिकारियों के जरिए दिल्ली सरकार और फिर दिल्ली सरकार के जरिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई थी। जहां से होती हुई है ये राष्ट्रपति भवन पहुंची थी। विनय शर्मा की दया याचिका को दिल्ली सरकार ने खारिज करने को कहा था क्योंकि दिल्ली सरकार ने विनय शर्मा के अपराध को जघन्यतम की श्रेणी में रखा था। साथ ही यह भी कहा था कि उसके काम के लिए वह दया पाने का हकदार नहीं है। इसके बाद याचिका केंद्रीय गृह मंत्रालय में आई। जहां से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार की अनुशंसा को मानते हुए याचिका राष्ट्रपति के सामने भेज दी।
इसके बाद विनय शर्मा के वकील ने कहा कि विनय शर्मा ने कोई दया याचिका राष्ट्रपति के सामने नहीं लगाई है। इसके बाद शर्मा ने भी एक और प्रार्थना पत्र जेल के अधिकारियों को दिया। जिसमें उसने कहा कि वह अपनी दी गई याचिका को वापस लेना चाहता है। जेल प्रशासन ने शर्मा की दूसरी याचिका को भी राष्ट्रपति भवन को भेज दिया। यह पहली बार हुआ है जब राष्ट्रपति के सामने एक ही आरोपी की दो याचिका निष्कासित हैं। जिसमें एक याचिका फांसी से बचने को लेकर है वहीं दूसरे प्रार्थना पत्र में दया याचिका को वापस लेने की बात कही गई है।
इस मामले में जब तिहाड़ जेल प्रशासन से रिपोर्ट मांगी गई तो तिहाड़ जेल प्रशासन ने राष्ट्रपति भवन को भेजी गई रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा है कि विनय शर्मा ने जेल अधिकारियों के सामने पहली याचिका पर अपने हस्ताक्षर और अंगूठा लगाया था और जेल प्रशासन ने उसके वकील के उस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि शर्मा ने कोई दया याचिका राष्ट्रपति के सामने नहीं लगाई है। राष्ट्रपति के पास पूरा अधिकार है कि वह विनय शर्मा की याचिका को अब खारिज कर दें या फिर उसकी दया याचिका को वापस कर दें।