2023 से 4 दिवसीय टेस्ट की तैयारी, गांगुली बोले- अभी कुछ कहना जल्दबाजी

टेस्ट क्रिकेट को रोमांचक बनाने के लिए ICC अब 5 की जगह 4 दिन के टेस्ट मैच कराने पर विचार कर रहा है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है कि पिछले दो साल में 60% टेस्ट के रिजल्ट चार या कम दिन में ही आ गए। 2018 से 2019 के बीच 87 टेस्ट हुए। 52 मैच 4 या कम दिन में ही खत्म हो गए। 2023 से टेस्ट चैंपियनशिप में इसे लागू किया जा सकता है। लेकिन सभी देशों के राजी होने की संभावना कम ही है। BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली ने कहा कि अभी इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। हम प्रपोजल देखकर ही कोई फैसला लेंगे।

हर दिन आधे घंटे का खेल बढ़ने से मैच का शेड्यूल बदला जाएगा। ऐसे में मैच देर शाम तक चलेगा। ऐसे में ICC मैच के लिए फ्लड लाइट का होना अनिवार्य कर सकती है। ताकि लाइट में बचे ओवर फेंके जा सके। अभी टेस्ट में रेड बॉल से फ्लड लाइट में खेलने के लिए दोनों टीमों की सहमति जरूरी होती है।

टेस्ट इतिहास का सबसे लंबा मैच 1939 में दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के बीच डरबन में खेला गया था। उस समय मैच तब तक चलते थे, जब तक रिजल्ट नहीं आ जाता था। 3 मार्च को शुरू हुआ टेस्ट 14 मार्च तक चला था। दो दिन रेस्ट था। बारिश के कारण एक दिन का खेल नहीं हो सका था। दक्षिण अफ्रीका ने पहली पारी में 530 जबकि दूसरी पारी में 481 रन बनाए थे। इंग्लैंड ने पहली पारी में 316 रन बनाए थे। दूसरी पारी में टीम ने 5 विकेट पर 654 रन बनाए थे। मैच एक दिन और नहीं बढ़ाया गया क्योंकि इंग्लैंड की टीम देश लौटने के लिए बोट नहीं पकड़ पाती।

क्रिकेट आस्ट्रेलिया (CA) के सीईओ केविन रॉबर्टसन ने कहा, ‘चार दिनों के टेस्ट को लेकर हमें गंभीरता से विचार करना होगा। हमें पिछले पांच से 10 साल के अंतराल में टेस्ट मैच के रिकॉर्ड को देखना होगा। उन्होंने कहा, ‘हमें इस बात पर गौर करना होगा, जो भविष्य के लिए जरूरी है। हम 12 से 18 महीने में कोई फैसला करेंगे और यह 2023 से 2031 के कैलेंडर में शामिल होगा।

1980 से 1999 के बीच खेले गए 613 टेस्ट की बात करें तो सिर्फ 169 मैच चार या कम दिन में खत्म हुए। यानी सिर्फ 28%। वहीं, 2000 से 2019 के बीच आंकड़े देखें तो 897 मैच में से 392 मैच चार या कम दिन में खत्म हुए। 44 फीसदी। 2005 से टी20 के शुरू होने के बाद बल्लेबाजों का स्ट्राइक रेट बढ़ा है। इस कारण तेजी से रन तो बने लेकिन विकेट भी गिरे। 1980-99 के बीच टीम का औसत स्ट्राइक रेट 42 था। यानी 100 गेंद पर 42 रन बनने थे। 2000-19 के बीच स्ट्राइक रेट 51 हो गया।

टेस्ट को बढ़ावा देने के लिए ICC ने पहले भी कई बदलाव किए हैं। 2015 में डे-नाइट टेस्ट की शुरुआत हुई। डे-नाइट टेस्ट पिंक बॉल से खेला जाता है। टीम इंडिया ने इस साल नवंबर में पहली बार डे-नाइट टेस्ट बांग्लादेश के खिलाफ खेला। ऑस्ट्रेलिया ने सबसे ज्यादा 7 टेस्ट खेले हैं और सभी में उसे जीत मिली है। अब तक 10 टीमों ने डे-नाइट टेस्ट खेले हैं। 7 को जीत मिली है। विंडीज, बांग्लादेश और जिम्बाब्वे ने एक भी मैच नहीं जीता है। टेस्ट की जर्सी भी बदली गई है। जर्सी पर अब नाम लिखा होता है।

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