Diwali 2025 इस साल 20 अक्टूबर को बड़े धूमधाम से पूरे देश में मनाई जाएगी. इस दौरान हर शहर और गांव के घर रोशनी और उल्लास से जगमगाएंगे. बाजार पहले ही लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियों से सजा हुआ है, और लोग इनकी खरीदारी में व्यस्त हैं.
वहीं दिवाली को लेकर अक्सर ये सवाल उठता है कि अगर दिवाली मूल रूप से प्रभु श्रीराम के रावण वध और अयोध्या लौटने की खुशी का प्रतीक है, तो इस दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा क्यों होती है? तो चलिए आज हम आपको इसी बारे में बताते है.
धन-समृद्धि का संबंध
धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो दीवाली अमावस्या की रात मनाई जाती है. अमावस्या की रात को विशेष रूप से धन, समृद्धि और शुभारंभ की देवी-देवताओं की कृपा फलदायी मानी जाती है. यही कारण है कि लक्ष्मीजी, जो धन और ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री हैं, इस दिन पूजी जाती हैं. साथ ही, गणेशजी जो विघ्नहर्ता और बुद्धि के प्रदाता हैं, उनकी पूजा अनिवार्य मानी जाती है.
आप में से कम ही लोग जानते होंगे कि लक्ष्मी और गणेश की संयुक्त पूजा का एक महत्वपूर्ण संदेश है. इससे केवल धन पर्याप्त नहीं, बल्की विवेक और स्थिरता भी जरूरी है. अगर जीवन में केवल धन हो लेकिन बुद्धि न हो, तो उसका दुरुपयोग हो सकता है. इसलिए दिवाली पर दोनों की पूजा करने से जीवन में धन, सुख और सफलता का संतुलन आता है. इस परंपरा से पता चलता है कि समृद्धि का असली अर्थ सिर्फ भौतिक संपत्ति नहीं, बल्कि विवेकपूर्ण और संतुलित जीवन है.
Diwali 2025 का पांच दिवसीय पर्व
दीपावली केवल एक दिन का त्योहार नहीं है. यह पांच दिन तक चलता है- धनतेरस, नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), मुख्य दिवाली (लक्ष्मी-पूजन), गोवर्धन पूजा और भाई दूज. इनमें मुख्य आकर्षण लक्ष्मी-गणेश पूजन है. व्यापारी वर्ग के लिए दिवाली नया वित्तीय वर्ष शुरू करने का शुभ समय माना जाता है. इस दिन बहीखाते खोले जाते हैं, दुकानें और व्यवसाय शुभ मुहूर्त में आरंभ किए जाते हैं.

