भारत में कोविड के 2 नए वैरिएंट का खतरा ? बढ़ रहे मामले, देखिए किस राज्य में कितने कोरोना के केस हैं दर्ज

भारत के महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में कोविड के मामले देखने को मिले हैं। जिसके बाद से केंद्र से लेकर राज्य तक की सरकार अलर्ट हो गई है और अस्पतालों को भी सतर्क कर दिया गया है।

भारत में कोरोना के मामलों में वृद्धि देखने को मिल रही है। कई राज्यों और जिलों में नए मामले सामने आ चुके हैं। सरकार नए मामलों को लेकर सतर्क हो चुकी है। भारत में कोविड के दो नए वैरिएंट के मामले देखने को मिल रहे हैं।

भारत में कोविड के किस वैरिएंट के मामले

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कोविड-19 के नये स्वरूप एनबी.1.8.1 का एक मामला और एलएफ.7 स्वरूप के चार मामले सामने आए हैं। यह जानकारी भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इंसाकॉग) के आंकड़े से मिली। मई 2025 तक की स्थिति के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) एलएफ.7 और एनबी.1.8.1 उप स्वरूप को निगरानी में रखे जाने वाले स्वरूप के रूप में वर्गीकृत करता है, न कि चिंताजनक स्वरूप के रूप में। लेकिन ये वे स्वरूप हैं जिनकी वजह से चीन और एशिया के कुछ हिस्सों में कोविड के मामलों में कथित तौर पर वृद्धि हो रही है।

किस राज्य में कितने कोरोना के मामले

इंसाकॉग के आंकड़े के अनुसार, अप्रैल में तमिलनाडु में एनबी.1.8.1 का एक मामला और मई में गुजरात में एलएफ.7 के चार मामले सामने आए।

भारत में, सबसे आम स्वरूप जेएन.1 बना हुआ है। जांच किए गए नमूनों में इसके 53 प्रतिशत मामले शामिल हैं, इसके बाद बीए.2 (26 प्रतिशत) और अन्य ओमिक्रॉन सबलाइनेज (20 प्रतिशत) हैं। कई क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर वृद्धि दर्ज की गई है।

दिल्ली में कोविड के 23 नये मामले दर्ज किए गए, आंध्र प्रदेश में पिछले 24 घंटे में चार मामले सामने आए, तेलंगाना में एक मामले की पुष्टि हुई और पिछले 20 दिनों में क्रमिक वृद्धि के बीच बेंगलुरु में नौ महीने का बच्चा जांच में संक्रमित पाया गया। उन्नीस मई तक की स्थिति के अनुसार देश में कोविड के 257 मामले थे।

सरकार हुई सतर्क

यद्यपि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रारंभिक जोखिम आकलन में एनबी.1.8.1 को वैश्विक स्तर पर कम सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम वाला माना गया है, लेकिन इसके स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन जैसे ए435एस, वी445एच और टी478 आई अन्य स्वरूप की तुलना में अधिक संक्रामकता और प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता का संकेत देते हैं। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में हाल ही में एक बैठक हुई जिसमें राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) तथा अन्य प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों के विशेषज्ञों ने भाग लिया और स्थिति की समीक्षा की।

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