कलेक्टर को पावर, सिख-हिंदू की एंट्री… वक्फ बिल पर 14 संशोधन मंजूर फिर JPC रिपोर्ट पर बवाल क्यों?

संयुक्त संसदीय कमेटी ने वक्फ बिल में 14 बदलाव की सिफारिश की है. इसके बावजूद बिल को लेकर बवाल मचा है. विपक्षी सांसद बिल को असंवैधानिक बता रहे हैं. ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं कि आखिर बिल पर विवाद क्यों है?

मोदी सरकार ने 7 महीने बाद वक्फ बिल को फिर से संसद में पेश कर दिया है. हालांकि, वक्फ संशोधन बिल को इस बार जेपीसी की रिपोर्ट के जरिए पेश किया गया है. इसके बावजूद विपक्ष ने इसका विरोध जताया है. विपक्ष का कहना है कि सरकार ने जो बिल पेश किया है, उससे डिसेंट नोट (असहमति के शब्द) हटा दिए हैं.

अगस्त 2024 में वक्फ बिल को जेपीसी के पास भेजा गया था. 38 बैठक के बाद इस बिल में 14 बदलाव किए गए. इसके बाद भी विपक्ष सरकार के इस विधेयक पर सहमत नहीं है.

बिल में किए गए 14 बड़े बदलाव

संयुक्त संसदीय कमेटी की बैठक में वक्फ बिल में 14 बदलाव किए गए. रिपोर्ट के मुताबिक बिल के क्लॉज-1, क्लॉज-2 में भी जेपीसी ने बदलाव की सिफारिश की है. बदलाव के तहत अब जमीन पर दावा के लिए वक्फ को कोर्ट जाने का भी अधिकार मिल गया है.

जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वक्फ संपत्तियों को एक्ट के लागू होने के बाद 6 महीने में पोर्टल (WAMSI) पर दर्ज करवाने की समय सीमा को बढ़ा दिया जाए. जेपीसी ने ये सभी बदलाव की सिफारिश बहुमत के आधार पर की है.

फिर वक्फ बिल पर बवाल क्यों है?

बिल का विरोध दो वजहों से हो रहा है. पहली वजह, जेपीसी ने पुराने नियमों में कुछ फेरबदल कर दिया है. मसलन, राज्यों में पहले वक्फ बोर्ड में सिर्फ 2 बाहरी लोगों को रहने देने की बात कही गई थी, लेकिन अब जेपीसी ने जो सिफारिश की है, उसमें 2 बाहरी सदस्यों के साथ-साथ राज्य सरकार के 2 अधिकारियों को भी शामिल करने की बात कही गई है. जेपीसी ने इसी तरह की कई और सिफारिश की है, जिसका विपक्ष विरोध कर रहा है.

विरोध की दूसरी वजह विपक्ष की सिफारिशों को नहीं मानना है. वक्फ के विरोध में विपक्षी सांसदों ने 43 सिफारिश की थी, लेकिन एक भी नहीं मानी गई. विपक्ष का मुख्य विरोध बोर्ड में गैर-मुस्लिम 2 सदस्यों की एंट्री और कलेक्टर को अधिकार देना है.

शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत के मुताबिक किसी भी हिंदू धार्मिक स्थल या संगठन के बोर्ड में मुस्लिम नहीं हैं. ऐसे में वक्फ में गैर-मुसलमानों को शामिल करना औचित्य नहीं है.

सावंत के मुताबिक कलेक्टर को ऑथोरिटी नियुक्त करना समझ से परे है. कलेक्टर सरकार का अधिकारी होता है और सरकार के खिलाफ काम नहीं कर सकता है. वक्फ धार्मिक संस्थाओं को लेकर काम करता है.

तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी के मुताबिक बिल को लेकर विस्तृत बहस की जरूरत थी, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया. कल्याण बनर्जी ने जो असहमति को लेकर नोट दिया था, उसके कुछ हिस्से को हटाया भी गया है.

कल्याण बनर्जी के मुताबिक जमीन और बिल्डिंग से संबंधित फैसला लेने का अधिकार संविधान में राज्य को दिया गया है. वक्फ संशोधन का मामला जमीन से जुड़ा है. केंद्र सरकार ने इस पर राज्यों से कोई राय नहीं ली है. यह बिल असंवैधानिक है.

सरकार को बिल पेश कराने में दिक्कत नहीं

लोकसभा और राज्यसभा में इस संशोधित बिल को पेश कराने में सरकार को दिक्कत नहीं होने वाली है. लोकसभा में एनडीए के पास 296 सांसद हैं. इसी तरह राज्यसभा में भी करीब 130 सांसद सरकार के पास है.

जेडीयू और टीडीपी पहले जेपीसी बिल के कुछ मसलों पर विरोध में थी, लेकिन अब सरकार के समर्थन में एकजुट है.

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