उन्नाव रेप केस में सोमवार (29 दिसंबर, 2025) को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने सेंगर की आजीवन कारावास की सजा निलंबित कर दी थी और सशर्त जमानत भी दे दी थी. दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले को सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत, जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की वेकेशन बेंच याचिका पर सुनवाई कर रही है. हाईकोर्ट ने सेंगर की सजा निलंबित किए जाने के साथ उसे सशर्त जमानत भी दे दी थी. हालांकि, उन्नाव रेप पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के दूसरे मामले में 10 साल की सजा के कारण सेंगर अभी भी जेल में है. हाईकोर्ट के इस फैसले को लेकर पीड़िता और उसका परिवार बेहद गुस्से में हैं और वह लगातार दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं.
सीबीआई की ओर से एसजी तुषार मेहता ने कहा कि बहुत ही भयानक रेप नाबालिग का हुआ और हाईकोर्ट ने आईपीसी के सेक्शन 376 और पॉक्सो के सेक्शन 5 पर गौर नहीं किया. इस पर जस्टिस जेके महेश्वरी ने बताया कि सेक्शन 376 पर विचार किया जा चुका है. एसजी मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट ने कई पहलुओं पर गौर नहीं किया जबकि यह नाबालिग पीड़िता का मामला है.
एसजी तुषार मेहता ने कहा कि सेंगर को दो मामलों में दोषी करार दिया गया है और घटना के वक्त पीड़िता की आयु 16 साल से कम थी, वह 15 साल 10 महीने की थी और इस दोषसिद्धी के विरुद्ध अपील लंबित है. उन्होंने कहा कि दोषी करार देने की वजह स्पष्ट थी और यह रेप एक पब्लिक सर्वेंट ने किया और सीबीआई ने तथ्यों और सबूतों के साथ यह साबित भी किया.
यह मामला साल 2017 का है, जब उत्तर प्रदेश के तत्कालीन विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर उन्नाव जिले की एक नाबालिग लड़की ने रेप का आरोप लगाया था. साल 2019 में दिल्ली के ट्रायल कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को बलात्कार का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत और गवाहों को प्रभावित करने के मामलों में भी सेंगर को दोषी ठहराया गया था. 23 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंगर की अपील लंबित रहने तक सजा निलंबित कर दी और सशर्त जमानत भी दे दी थी, जिसमें काटी गई सजा की अवधि (सात साल पांच महीने) और कानूनी आधारों का हवाला दिया गया था.

