बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक माहौल गरम है. एनडीए और इंडिया गठबंधन आमने-सामने हैं, मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं. दोनों गठबंधन के नेता एक दूसरे पर ‘शब्दबाण’ चला रहे हैं. बुधवार को तेजस्वी यादव और सीएमम नीतीश कुमार के बीच तीखी बहस हुई. वहीं, आरजेडी विधायक के बयान से बिहार विधानसभा में जमकर बवाल मचा.
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में सियासी घमासान मचा हुआ है. एनडीए और इंडिया ब्लॉक के नेता आमने-सामने हैं और एक-दूसरे पर सियासी वार कर रहे हैं. बुधवार को विधानसभा चुनाव से पहले आखिरी मानसून सत्र के दौरान दोनों पार्टियों के एक नेता एक दूसरे पर शब्दबाण चलाते देखे गये. आरजेडी विधायक के बाप वाले बयान को लेकर विधानसभा में जमकर हंगामा मचा. तो सीएम नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच विधानसभा में नोंकझोंक हुई. तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग के मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर बोलते हुए फर्जी सीएम और फर्जी विधायक की बात कही, नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के आरोप को बच्चा कहकर खारिज कर दिया.
ऐसा नहीं हैं कि नेताओं के बिगड़े बोल बुधवार को केवल विधानसभा में ही सुनने को मिले. इससे पहले ही बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नमाजवाद और समाजवाद, मौलाना और मुल्ला, छपरी और टपोरी और लफुआ जैसे शब्दों की एंट्री हो चुकी है. इन शब्दों से एनडीए और राजद के नेता एक-दूसरे पर सियासी तीर चला चुके हैं.
टपोरी, लफुआ और नमाजवादी की एंट्री
1 जुलाई को तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा था कि भाजपा वाले मुझे नमाजवादी और मौलाना कहा करते हैं लेकिन ये छपरी, टपोरी और लफुआ लोग बिहार के लोगों को बेवकूफ नहीं बना सकते.
भाजपा भी तेजस्वी के आरोप से चुप नहीं रही और भाजपा नेता गौरव भाटिया ने उसी दिन तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि बिहार में जो लोग खुद को समाजवादी बताते हैं. वास्तव में उनका असली चेहरा नमाजवादी का है. वे संविधान का तो सम्मान करते ही नहीं हैं. उन्हें केवल शरिया एवं हलाला ही चाहिए.
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर राज्य में बवाल मचा हुआ है. विपक्ष का आरोप है कि यह भाजपा और चुनाव आयोग के बीच मिलीभगत है. इसका उद्देश्य दलितों और पिछड़ों के दो करोड़ लोगों का मतदान से वंचित करना है. इसी मुद्दे को लेकर विपक्ष बिहार बंद का भी ऐलान कर चुका है.
बिहार में चाचा-भतीजे में घमासान
विपक्ष ने बुधवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही विपक्ष के विधायक काले कपड़े पहनकर सदन पहुंचे., वहीं बिहार विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के के विधायकों के बीच तीखी बहस हुई, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को “बच्चा” करार दिया.
विधानसभा में तेजस्वी यादव ने भी जमकर नीतीश कुमार सरकार पर हमला बोला. उन्होंने चुनाव आयोग और नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा कि चुनाव आयोग कह रहा है कि बिहार की मतदाता सूची में फर्जी वोटर्स हैं. क्या नीतीश जी अवैध वोटों से सीएम बने थे? क्या नीतीश फर्जी सीएम हैं? क्या मैं फर्जी एमएलए हूं? मोदी इसी मतदाता सूची से जीते थे. अगर उन्हें यह प्रक्रिया करनी ही थी, तो उन्हें लोकसभा चुनाव के बाद करनी चाहिए थी.
तेजस्वी यादव का भाषण खत्म करने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि तुम तो अभी बच्चे हो, इसके बाद भी नीतीश कुमार नहीं रूके. उन्होंने तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए कहगा कि तुम्हारे पिता (लालू प्रसाद) सात साल तक यहां के मंत्री रहे.
उन्होंने कहा कि तुम्हारे पिता भी इस राज्य के मुख्यमंत्री रहे, तुम्हारी मां भी राज्य की मुख्यमंत्री रही हैं. तुम्हें उनके इतिहास और उनके कारनामे की कोई जानकारी नहीं है. उनके राज में कोई डर के मारे कोई भी घर से बाहर नहीं निकलता था.
यह सदन किसी के बाप का नहीं… विधायक के बयान से बवाल
इसके बाद तेजस्वी यादव दोबारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जवाब देने के लिए खड़े हुए. विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने उन्हें अपना भाषण संक्षेप में देने का अनुरोध किया. इसके बाद राजद विधायक भाई वीरेंद्र भड़क गए और उन्होंने हमला बोलते हुए कहा, “यह सदन किसी के बाप का नहीं है.”
जब विधासनभा अध्यक्ष ने उनसे उनके इस बयान को लेकर माफी मांगने के लिए कहा तो उन्होंने पूरी तरह से इनकार कर दिया. इस बीच, सदन में जमकर हंगामा मचा और उपमुख्यमंत्री सिन्हा ने इस बीच कहा कि इन लोगों ने हजारों लोगों का कत्लेआम किया है. ये लोग राजद के गुंडे हैं.” इस पर राजद के विधायकों ने जमकर नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई. लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टी के नेताओं के बीच शुरू हुई तकरार जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा और परवान चढ़ने के आसार हैं.

