बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इससे पहले बुधवार को नीतीश कैबिनेट का विस्तार हुआ. आज जिन सात विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है, उनमें एक राजपूत, एक भूमिहार, एक केवट, एक कुर्मी, एक कुशवाह, एक तेली और एक मारवाड़ी समाज से हैं. आइए जानते हैं इस कैबिनेट विस्तार के सहारे बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन क्या कहानी गढ़ रहा है.
बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इससे पहले बुधवार को नीतीश कैबिनेट का विस्तार हुआ. इसमें बीजेपी के सात विधायकों को जगह मिली है. राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राजभवन में नए मंत्रियों को शपथ दिलाई. जो विधायक मंत्री बने हैं उनके नाम हैं- संजय सरावगी, सुनील कुमार, जीवेश मिश्रा, कृष्ण कुमार मंटू, विजय मंडल, राजू सिंह और मोतीलाल प्रसाद हैं. कैबिनेट विस्तार के जरिए बीजेपी ने जातीय समीकरण को साधने के साथ ही क्षेत्रीय समीकरण को भी केंद्र में रखा है.
आज जिन सात विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है, उनमें एक राजपूत, एक भूमिहार, एक केवट, एक कुर्मी, एक कुशवाह, एक तेली और एक मारवाड़ी समाज से हैं. कृष्ण कुमार कुर्मी जाति से आते हैं. इसी तरह विजय मंडल केवट, राजू सिंह राजपूत, भूमिहार, सुनील कुमार कुशवाहा, मोतीलाल प्रसाद तेली और संजय सारावगी मारवाड़ी समाज से आते हैं.

सारण से एक और दरभंगा से दो मंत्री
जाति के बाद अब क्षेत्र पर नजर डालें तो विजय कुमार मंडल (अररिया जिला), जीवेश मिश्रा (दरभंगा जिला) संजय सरावरी (दरभंगा), मोतीलाल प्रसाद (सीतामढ़ी), राजू कुमार सिंह (मुजफ्फरपुर), सुनील कुमार (नालंदा) और कृष्ण कुमार मंटू सारण जिले से आते हैं. इस तरह देखें तो दरभंगा जिले से दो मंत्री, तिरहुत प्रमंडल से दो मंत्री, पूर्णिया, पटना और सारण प्रमंडल से एक-एक मंत्री को कैबिनेट में जगह मिली है.
50 सीटों के लिए बीजेपी ने लिखी स्क्रिप्ट
बीजेपी ने जातिगत समीकरण साधने के साथ ही 50 सीटों को लेकर अपने इरादे भी जाहिर कर दिए हैं. ये सीटें हैं मिथिलांचल क्षेत्र की, जहां से बीजेपी ने दो विधायकों को नीतीश कैबिनेट में जगह दिलाई है. बीजेपी की इस रणनीति का विधानसभा चुनाव में कितना जादू चलता है तो ये आने वाला वक्त ही बताएगा. फिलहाल बीजेपी ने कैबिनेट विस्तार के जरिए विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने की माकूल कोशिश की है.
बड़े और लाडले भाई का बड़ा दिल
कैबिनेट विस्तार एक दिन कवायद नहीं है. मगर, इसकी टाइमिंग काफी दिलचस्प है. पीएम मोदी के दौरे के दो दिन बाद राज्य सरकार में बड़ा बदलाव हुआ है. बिहार दौरे पर किसान सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार को पीएम मोदी ने लाडला कहा था. 48 घंटे बाद लाडले भाई का बड़ा दिल भी देखने को मिला है.
नीतीश इतने भी नादान नहीं
नीतीश वो नेता हैं जो हर दांव चलने से पहले उसके फायदे और नुकसान देखते हैं. यूं ही उन्होंने बीजेपी के 7 विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दे दी. कैबिनेट विस्तार के जरिए उन्होंने बड़ा सियासी दांव चला है. बड़ा दिल दिखाते हुए उन्होंने गठबंधन धर्म और एकता का संदेश दिया है. इस तरह उन्होंने जाहिर कर दिया है कि वो एनडीए के साथ सियासी मैदान में उतरेंगे क्योंकि बिहार ही नहीं पूरे देश में उनकी पलटने वाली सियासत के किस्से कौन नहीं जानता. इसके साथ ही उन्होंने जनता को भी ये संदेश देने की कोशिश की है कि नीतीश अब इधर-उधर नहीं जाने वाले हैं.

