सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस के नौ मंत्रियों के इस्तीफ़े के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपनी पार्टी UML के मंत्रियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे किसी भी हालत में इस्तीफ़ा न दें. सूत्रों के मुताबिक, ओली ने कहा कि जब गठबंधन के अन्य मंत्री जा रहे हों, तब UML के मंत्री मजबूती से अपने पद पर बने रहें.
नेपाली मीडिया के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, ओली अब भी इस बात पर अड़े हैं कि सोमवार (08 सितंबर) को हुए विरोध प्रदर्शनों में बाहरी असामाजिक तत्वों की घुसपैठ थी, जिसकी वजह से स्थिति हिंसक हुई. उन्होंने अपने मंत्रियों को भरोसा दिलाया कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी और जांच के बाद उन्हें सजा दी जाएगी.
दुबई जाने की तैयारी कर रहे हैं पीएम ओली
इसी बीच सूत्रों ने खुलासा किया है कि प्रधानमंत्री ओली अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं. विरोध प्रदर्शनों के बढ़ते तनाव को देखते हुए वे इलाज के बहाने दुबई जाने की तैयारी कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि इसके लिए हिमालय एयरलाइंस की उड़ान का विकल्प चुना गया है.
प्रदर्शनकारियों ने फूंका मंत्री का घर
प्रदर्शनकारियों ने सोमवार रात सूचना मंत्री पृथ्वीसुब्बा गुरुंग और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल के आवास में आगजनी और तोड़फोड़ की. इसके अलावा, भीड़ पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के घर की ओर भी बढ़ रही थी.
सरकार ने दिए हिंसा के जांच के आदेश
सरकार ने इस हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है, जिसे 15 दिन में रिपोर्ट सौंपनी है. हालांकि सूत्रों का कहना है कि ओली को संदेह है कि समिति जल्द कोई ठोस नतीजा दे पाएगी. इस बीच, कर्फ्यू लागू रहने के बावजूद मंगलवार को भी कई जगह विरोध प्रदर्शन जारी रहे.
नेपाल में क्यों मचा हंगामा?
नेपाल में हालिया विरोध प्रदर्शन सोशल मीडिया बैन, भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट को लेकर भड़के हैं. सरकार ने फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप और यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पाबंदी लगा दी, जिसके बाद युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा. 8 सितंबर से शुरू हुआ यह आंदोलन “Gen-Z रिवोल्यूशन” के नाम से तेजी से फैल रहा है और लगातार हिंसक होता जा रहा है.
नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने 4 सितंबर को बड़ा फैसला लेते हुए फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सऐप, रेडिट और एक्स सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया. इस निर्णय के बाद पूरे देश में गुस्सा भड़क उठा. न सिर्फ आम लोग बल्कि पत्रकार, वकील और कई सामाजिक संगठन भी इसके खिलाफ खड़े हो गए. आलोचकों का कहना है कि यह कदम प्रेस की स्वतंत्रता और नागरिकों की अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सीधा हमला है, इसलिए सरकार को तुरंत बैन वापस लेना चाहिए.
नेपाल में सोशल मीडिया बैन की असली वजह क्या है?
नेपाल सरकार ने जिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया है, उनकी सबसे बड़ी गलती यह रही कि उन्होंने तय समय सीमा के भीतर सरकार से रजिस्ट्रेशन नहीं कराया. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कंपनियों को 28 अगस्त से 7 दिन का वक्त दिया था ताकि वे पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी कर सकें. लेकिन मंत्रालय की ओर से जारी नोटिस में कहा गया कि बुधवार रात समय सीमा समाप्त होने तक किसी भी बड़े प्लेटफॉर्म, जैसे मेटा के फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप, अल्फाबेट का यूट्यूब, एक्स (पहले ट्विटर), रेडिट और लिंक्डइन ने आवेदन जमा नहीं किया. इसी वजह से सरकार ने इन 26 सोशल मीडिया ऐप्स पर बैन लगाने का फैसला लिया.