बिहार में एक प्रमुख मुस्लिम संगठन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इफ्तार के निमंत्रण को ठुकरा दिया है। संगठन का कहना है कि वह वक्फ विधेयक के प्रति नीतीश कुमार के समर्थन का विरोध कर रहा है। उनका मानना है कि यह विधेयक मुसलमानों के आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को बढ़ावा देगा। रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जाएगा।
बिहार में एक प्रमुख मुस्लिम संगठन ने शनिवार को घोषणा की है कि वह वक्फ विधेयक के प्रति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन के विरोध में उनके इफ्तार के निमंत्रण को ठुकरा रहे हैं।
इमारत शरिया, जिसका दावा है कि उसके अनुयायी बिहार, झारखंड और ओडिशा में हैं, उन्होंने रविवार को मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित होने वाले इफ्तार के निमंत्रण के जवाब में पत्र की एक प्रति साझा की है।
पत्र में कहा गया है कि 23 मार्च को सरकारी इफ्तार में शामिल न होने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय वक्फ विधेयक के प्रति आपके (नीतीश कुमार) के समर्थन को देखते हुए लिया गया है, जिससे मुसलमानों का आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ापन बढ़ने का खतरा है।
राजद जिला कार्यालय परिसर में आयोजित हुई दावत-ए-इफ्तार
वहीं, दूसरी ओर हाजीपुर शहर के चौरसिया चौक स्थित राजद कार्यालय परिसर में दावत-ए-इफ्तार का आयोजन प्रदेश महासचिव एवं पूर्व प्रत्याशी देव कुमार चौरसिया के नेतृत्व में की गई।

इस दौरान जुमे के मगरीब की नमाज अदा की गई। मौलाना आसिफ जमील ने नमाज पढ़ाई। इफ्तार में लगभग 500 रोजेदार शामिल थे। देव कुमार चौरसिया ने कहा कि आज जुमे का दिन काफी महत्वपूर्ण है।
रमजान के तीसरे चरण की शुरुआत आज मगरीब की नवाज के बाद शुरू की जाती है। इफ्तार में अनवरपुर जमा मस्जिद सचिव मो. नसर इमाम, मो. मासूम रजा, शमीम अख्तर, जसीम अहमद, मुश्ताक अहमद, नौशाद आलम, मो. शमीम आदि शामिल थे।
दावत-ए-इफ्तार में दिखा सामाजिक एकता का प्रतिबिंब
वहीं, बक्सर में जैसे-जैसे ईद का पर्व नजदीक आ रहा है, दावत-ए- इफ्तार के जरिए आपसी सौहार्द एवं भाईचारे का संदेश देने की प्रक्रिया तेज हो गई है।
शनिवार को सिमरी प्रखंड के काजीपुर में इश्क-ए-मोहम्मदिया कमेटी की जानिब से दावत-ए- इफ्तार का आयोजन किया, जिसमें अकीदतमंदों के साथ-साथ स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़कर अपनी सहभागिता सुनिश्चित कराई।
इसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रोजा तोड़ने के पूर्व सामूहिक तौर पर नमाज अदा कर अल्लाह के बताए संदेश को याद किया।
बक्सर में दावत-ए-इफ्तार का आयोजन।
इस मौके पर काजीपुर स्थित जामा मस्जिद के इमाम हाफिज फरीद आलम ने कहा कि इफ्तार के वक्त रोजेदारों की सभी दुआएं कबूल होती हैं।

शाम के वक्त रोजेदार अपने दस्तखान पर इफ्तार तो रखता है, पर अल्लाह के हुक्म के बिना वह इफ्तार नहीं करता।
वहीं, शिक्षाविद काजी उज्जैर आलम ने कहा कि समाज में आपसी सौहार्द और भाईचारा कायम रखने के लिए इफ्तार पार्टी किया गया था और हर साल इसकी पुनरावृत्ति होगी।

