Mumbai Children Hostage

Mumbai Children Hostage: पवई क‍िडनैपिंग में हैरान करने वाले ये बड़े खुलासे

Mumbai Children Hostage: मुंबई के पवई में 17 बच्‍चों को बंधक बनाने के मामले में हैरान कर देने वाले खुलासे हो रहे हैं. यह किसी फिल्म का सीन नहीं, बल्कि रियल लाइफ हॉरर थ्रिलर था. एक स्टूडियो में 17 मासूम बच्चों को बंधक बनाकर एक शख्स ने घंटों तक पुलिस को छकाए रखा. उसने ख‍िड़क‍ियों में सेंसर तक लगवा रखे थे. लेकिन यही उसकी मौत की वजह बन गए.
घटना पवई के RA स्टूडियो की है. बीते पांच दिनों से रोहित इस स्टूडियो में वेब सीरीज ऑडिशन के नाम पर बच्चों को बुला रहा था. गुरुवार सुबह करीब 10 बजे 100 से ज्यादा बच्चे ऑडिशन देने पहुंचे. दोपहर एक बजे तक जब 17 बच्चे घर नहीं लौटे, तो माता-पिता को शक हुआ और पुलिस को खबर दी गई. पुलिस जब पहुंची तो दरवाजा अंदर से बंद था, खिड़कियों पर मोटे पर्दे और शीशे लगे थे. बच्चों की आवाजें अंदर से आ रहीं थीं, लेकिन रोहित का कोई जवाब नहीं. तभी उसने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया, जिसमें वह कह रहा था, मैं आतंकवादी नहीं हूं. मैं पैसे नहीं मांग रहा. मैं बस कुछ लोगों से बात करना चाहता हूं. मुझे सुना नहीं जा रहा, इसलिए मैंने यह कदम उठाया.
खिड़कियों में सेंसर लगाकर बनाया था जाल

पुलिस जब स्टूडियो के आसपास पहुंची, तो उसे सबसे बड़ी मुश्किल थी अंदर झांकना. लेकिन जब तकनीकी टीम ने निगरानी शुरू की, तो हैरान रह गई. रोहित ने स्टूडियो की हर खिड़की और दरवाजे पर सेंसर लगा रखे थे. ये सेंसर किसी के पास आने या हलचल होने पर बीप की आवाज निकालते थे, जिससे उसे पता चल जाता था कि कोई बाहर मौजूद है. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, उसने जगह को मिनी-कमांड सेंटर जैसा बना दिया था. एक कदम आगे बढ़ते ही सेंसर एक्टिव हो जाता था. दरअसल, रोहित चाहता था कि कोई भी पुलिस या व्यक्ति बिना उसकी जानकारी के अंदर न घुस सके. उसने इस तकनीक का इस्तेमाल खतरे का संकेत देने के लिए किया था.

पुलिस ने सेंसर को ही बना दिया रास्ता
पुलिस टीम ने जब यह देखा कि सेंसर हर हरकत पकड़ रहे हैं, तो उन्होंने सेंसर सिग्नल को अपनी चाल में इस्तेमाल किया. तकनीकी यूनिट ने सेंसर की फ्रीक्वेंसी को ट्रेस किया और फिर डमी मूवमेंट बनाकर उसका ध्यान भटकाया. जब रोहित स्टूडियो के फ्रंट एरिया में आया, तो पुलिस की क्विक रेस्पॉन्स टीम ने पीछे से बाथरूम की खिड़की के रास्ते प्रवेश किया. यह वही जगह थी जहां सेंसर नहीं लगा था और यही पुलिस के लिए सबसे सुरक्षित रास्ता साबित हुआ. बाथरूम की खिड़की तोड़कर पुलिस अंदर घुसी और 17 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला. इस दौरान कुछ बच्चे सहमे हुए थे, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उन्हें संभाल लिया.
पैलेट गन से की पुलिस पर फायरिंग
जैसे ही पुलिस बच्चों को निकाल रही थी, रोहित ने पैलेट गन (एयर गन) से पुलिस पर फायरिंग की. कांच के शीशे टूट गए और कमरे में अफरा-तफरी मच गई. इसके बाद पुलिस ने आरोपी को सरेंडर करने को कहा, लेकिन उसने फिर से गोली चलाई. पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में फायर किया, जिसमें रोहित आर्या के दाईं छाती में गोली लगी. उसे तुरंत ट्रॉमा हॉस्पिटल ले जाया गया, जहाँ इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
रोहित आर्या कौन है?
पुलिस जांच में पता चला कि रोहित नागपुर के एक स्कूल में प्रोफेसर रह चुका था. कुछ साल पहले उसने “स्वच्छता अभियान” नाम का प्रोजेक्ट चलाया था, जिसके लिए सरकार से 1 करोड़ रुपये का फंड मंजूर हुआ था. लेकिन उसे यह राशि नहीं मिली. उसका दावा था कि उसने अपने पैसे से 60–70 लाख रुपये खर्च किए, लेकिन शिक्षा मंत्रालय और अफसरों ने उसे भुगतान नहीं दिया. तब से वह मानसिक रूप से परेशान था और सरकार के खिलाफ कई बार प्रदर्शन कर चुका था. यहां तक कि आज़ाद मैदान में भी आंदोलन किया था. एक पुलिस अधिकारी ने बताया, वह लंबे वक्त से सिस्टम से लड़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन जब उसे कहीं सुनवाई नहीं मिली, तो उसने गलत रास्ता चुन लिया.
JJ अस्पताल में होगा पोस्टमार्टम
पुलिस सूत्रों के अनुसार, रोहित को दाईं छाती में गोली लगी थी. उसकी मौत ट्रॉमा हॉस्पिटल में इलाज के दौरान हुई. अब उसका पोस्टमार्टम JJ अस्पताल में किया जाएगा. पुलिस ने मौके से एयर गन, सेंसर डिवाइस और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जब्त किए हैं. फॉरेंसिक टीम यह जांच कर रही है कि सेंसर उपकरण उसने खुद बनाए थे या किसी टेक्निकल व्यक्ति की मदद ली थी.

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