Justice Yashwant Varma: कैश कांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा की उम्मीदों पर पानी फिर गया. बहुत उम्मीद से सुप्रीम कोर्ट गए थे, मगर उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा. कपिल सिब्बल जैसे बड़े वकील भी उन्हें राहत नहीं दिलवा पाए. सुप्रीम कोर्ट ने जज यशवंत वर्मा की याचिका खारिज कर दी. जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने उनकी याचिका को सुनवाई योग्य नहीं माना. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि पूर्व सीजेआई और जांच कमेटी ने फोटो और वीडियो अपलोड करने समेत प्रक्रिया के सभी पहलुओं का पूरी ईमानदारी से पालन किया था. अब जब सुप्रीम कोर्ट से जस्टिस यशवंत वर्मा को राहत नहीं मिली है, ऐसे में अब उनके पास क्या-क्या विकल्प हैं? आखिर उनका अगला कदम क्या होगा.
सबसे पहले जानते हैं कि आज सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी गुरुवार को जस्टिस यशवंत वर्मा झटका देते हुए याचिका खारिज कर दी. जस्टिस वर्मा ने अपनी याचिका में अपने आवास से जला हुआ कैश मिलने के मामले में गठित जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य करार देने की मांग की थी. इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पद से हटाने के लिए भेजी गई सिफारिश को भी चुनौती दी थी. आज सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि याचिका नहीं सुनी जाएगी.
जस्टिस वर्मा के पास अब बहुत ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं. उनके लिए जो सबसे बेस्ट ऑप्शन है, वह है चुपचाप इस्तीफा दे देना. अगर वह इस्तीफा दे देते हैं तो वह महाभियोग की प्रक्रिया से बच सकते हैं. अगर महाभियोग चलता है तो उनकी छवि को और नुकसान पहुंच सकता है. वैसे भी कैश कांड के कारण पहले ही उनकी बहुत फजीहत हो चुकी है. अगर वह इस्तीफा देते हैं तो वह फायदे में भी रहेंगे. उन्हें पेंशन और अन्य वित्तीय लाभ मिलेंगे. मगर महाभियोग से हटाए जाने पर उन्हें कुछ भी नहीं मिलेगा.
ऑप्शन नंबर 2: महाभियोग का सामना करना
अब तक जो जस्टिस यशवंत वर्मा के तेवर दिख रहे हैं, उससे लग नहीं रहा कि वह इस्तीफा देंगे. वह महाभियोग की प्रक्रिया का सामना कर सकते हैं. इस प्रक्रिया में संसद में सुनवाई होगी. यहां वे अपने बचाव में कपिल सिब्बल जैसे वकीलों के साथ दलीलें पेश कर सकते हैं. वह सुप्रीम कोर्ट की तरह यहां भी तर्क दे सकते हैं कि पैनल ने उन्हें निष्पक्ष तौर पर सुनवाई का अवसर नहीं दिया. या फिर वह अपने पक्ष में मजबूत तर्क और सबूत रख सकते हैं. हालांकि, यह विकल्प वह तभी चुनेंगे जब उन्हें यकीन हो कि कैश कांड से उनका कोई लेना-देना नहीं है. अगर महाभियोग की प्रक्रिया से हटाए जाते हैं तो यह सबसे बड़ी शर्मिंदगी होगी.
और क्या-क्या ऑप्शन बचे हैं?
वैसे जस्टिस यशवंत वर्मा के पास कानूनी विकल्प अब भी बचे हैं. वह चाहें तो सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पेटिशन यानी पुनर्विचार याचिका दायर कर सकते हैं. या फिर वह क्यूरेटिव याचिाक भी दायर कर सकते हैं. हालांकि, उन्हें अदालत से राहत मिलने की संभावना बहुत कम है. कारण कि सुप्रीम कोर्ट ने पैनल की जांच प्रक्रिया को बिल्कुल सही और संवैधानिक माना है. जब कैश कांड हुआ था, तब वह दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे. अब वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज हैं. उन्होंने पहले भी इस्तीफा देने से इनकार किया है.
चलिए जानते हैं आज सुप्रीम कोर्ट ने क्या टिप्पणी की?
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता ने स्पष्ट किया कि अदालत ने यह माना है कि इस पूरी प्रक्रिया से याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ. कोर्ट ने कहा कि चीफ जस्टिस और जांच कमेटी ने फोटो और वीडियो अपलोड करने समेत प्रक्रिया के सभी पहलुओं का पूरी ईमानदारी से पालन किया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्वीकार किया कि वीडियो अपलोड करना एक सही फैसला नहीं था, लेकिन इस पर कोई कानूनी निर्णय नहीं लिया गया, क्योंकि इस कदम को समय रहते चुनौती नहीं दी गई थी. कोर्ट ने यह भी कहा कि वीडियो अपलोड करने की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन चूंकि उस समय इस मुद्दे को उठाया नहीं गया, इसलिए अब इस पर विचार नहीं किया जा सकता.

