LAC SECURITY BY BSF

केंद्र सरकार ने जारी की नई ड्रोन पॉलिसी

भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) ने गुरुवार को ड्रोन उड़ने के लिए नए नियमों की अधिसूचना जारी कर दी है. जम्मू में भारतीय वायुसेना के एयरबेस पर हुए ड्रोन हमले के बाद भारत सरकार लगातार इस मामले को लेकर गंभीर रही है और यही वजह है कि अब ड्रोन उड़ाने के नियमों में बड़े बदलाव किए हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के आसमान में पांच लाख के आसपास व्यावसायिक ड्रोन सक्रिय हैं यानी कि देश में प्रति विमान पर 700 ड्रोन हैं. ऐसे में भारत में विमानों पर ड्रोन का खतरा गंभीर है. बीते दिनों ही जम्मू में संदिग्ध ड्रोन की गतिविधि देखी गई थी. तड़के सुबह जम्मू में डिफेंस कैंप के पास अलग-अलग इलाकों में ड्रोन देखे गए थे, जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं.

इन्हीं सब गतिविधियों को देखते हुए नए नियमों में महत्वपूर्ण बिंदु ये है कि अब जो भी ड्रोन मालिक है उसे अपने ड्रोन का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा. हालांकि इसके लिए पहले सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी. भारी पेलोड ले जाने वाले ड्रोन और ड्रोन टैक्सियों को शामिल करने के लिए वजन क्षमता 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम कर दी है. नई नीति में नियमों के उल्लंघन के लिए अधिकतम दंड को घटाकर 1 लाख रुपए कर दिया गया है.

नई ड्रोन नीति में सभी ड्रोन का ऑनलाइन पंजीकरण डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया जाएगा. बड़ी राहत की बात ये है कि अब यूनिक अधिकृत नंबर, यूनिक प्रोटोटाइप पहचान संख्या, अनुरूपता का प्रमाण पत्र ,मेंटेनेंस सर्टिफिकेट, ऑपरेटर परमिट, अनुसंधान एवं विकास संगठन का प्राधिकरण, रिमोट पायलट लाइसेंस, ड्रोन पोर्ट प्राधिकरण, ड्रोन घटकों के लिए अनुमोदन समाप्त कर दिए गए.

ड्रोन के आयात को DGFT के द्वारा नियंत्रित किया जाएगा एवं कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन कॉरिडोर भी विकसित करने की सरकार योजना बना रही है. डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर लाल, हरे और पीले क्षेत्रों के साथ इंटरएक्टिव हवाई क्षेत्र का नक्शा प्रदर्शित किया जाएगा. हवाई अड्डे की परिधि से पीले क्षेत्र को 45 किमी से घटाकर 12 किमी कर दिया गया है.

पहले से बड़ा करते हुए हवाई अड्डे की परिधि से 8 किमी-12 किमी के बीच के क्षेत्र में ग्रीन जोन और 200 फीट तक के क्षेत्र में ड्रोन के संचालन के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है. सभी जोनों का ऑनलाइन पंजीकरण डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से होगा, जिसमें ड्रोन के हस्तांतरण और पंजीकरण के लिए निर्धारित एक बेहद आसान प्रक्रिया होगी.

भविष्य में ‘नो परमिशन-नो टेकऑफ’ (NPNT), रीयल-टाइम ट्रैकिंग बीकन, जियो-फेंसिंग आदि जैसी सुरक्षा और सुरक्षा सुविधाओं को अधिसूचित किया जाएगा. उद्योग जगत के लिए राहत भरी बात ये है कि उद्योग को अनुपालन के लिए कम से कम छह महीने का समय भी दिया जाएगा.

कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन कॉरिडोर विकसित किए जाने की योजना है. केंद्रीय उड्डयन मंत्रालय ने कहा है कि न्यूनतम मानव इंटरफेस होगा और अधिकांश अनुमतियां स्वयं उत्पन्न होंगी.

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