लोकसभा में मंगलवार (16 दिसंबर,2025) को उस वक्त भारी हंगामा हो गया जब केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘विकसित भारत – गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ सदन में पेश किया. इसे जिसे विपक्ष ‘जी राम जी बिल’ कह रहा है. बिल पेश होते ही कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने तीखा विरोध शुरू कर दिया और सदन की कार्यवाही बाधित हो गई. सरकार का कहना है कि यह बिल ग्रामीण रोजगार और आजीविका को मजबूती देने से जुड़ा है, जबकि विपक्ष इसे मौजूदा योजनाओं का नाम बदलने की कोशिश बता रहा है.
प्रियंका गांधी की आपत्ति, स्थायी समिति में भेजने की मांग
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने नियम 72(1) के तहत कड़ी आपत्ति दर्ज कराई. उन्होंने कहा कि मनरेगा पिछले 20 वर्षों से ग्रामीण रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में प्रभावी रहा है. उन्होंने मांग की कि इस बिल को सीधे पारित करने के बजाय संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाए.
‘मनरेगा मजदूर की हालत से जुड़ा सवाल’
प्रियंका गांधी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में मनरेगा मजदूर की पहचान दूर से हो जाती है-चेहरे पर झुर्रियां होती हैं और हाथ पत्थर की तरह कठोर होते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे में इस योजना से जुड़े किसी भी बदलाव पर गंभीर चर्चा जरूरी है. प्रियंका गांधी ने स्पष्ट रूप से बिल वापस लेने की मांग की. उन्होंने कहा कि हर योजना का नाम बदलने की जो ‘सनक’ है, वह समझ से परे है और इससे मूल उद्देश्य पर असर पड़ता है.
विपक्ष का जोरदार हंगामा, वेल में उतरे सांसद
बिल पेश होते ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सांसद वेल में आ गए. हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी की गई और सदन में शोर-शराबा शुरू हो गया. विपक्ष ने बिल को तुरंत वापस लेने की मांग की.डीएमके सांसद टीआर बालू ने बिल पेश करने का विरोध किया. तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय ने भी सरकार के कदम पर आपत्ति जताते हुए बिल को सदन में पेश करने का विरोध किया.

