वर्ष 2019-2020 का इकोनॉमिक सर्वे या आर्थिक सर्वेक्षण संसद में पेश कर दिया गया है. इस सर्वे रिपोर्ट में देश की अर्थव्यवस्था को लेकर कई अहम आंकड़े पेश किए गए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में GDP ग्रोथ रेट 6-6.5 फीसदी के बीच रहेगी।
जीडीपी ग्रोथ रेट को लेकर सरकार का ये अनुमान चालू वित्त वर्ष के मुकाबले 0.5 से 1 फीसदी तक अधिक है।सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को 5 फीसदी पर रखा है।आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार राजकोषीय ग्रोथ 5 फीसदी रहने का अनुमान है।
- क्रूड की कीमतों में राहत से चालू खाता घाटा कम हुआ। वर्ष 2019-20 की प्रथम छमाही में आयात में कमी आई जो निर्यात में कमी से कहीं अधिक है।
- मुद्रास्फीति की दर अप्रैल 2019 में 3.2 फीसदी से तेजी से गिरकर दिसंबर, 2019 में 2.6 फीसदी पर आ गई।
- आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही में आर्थिक विकास की गति तेज होने में 10 क्षेत्रों का प्रमुख योगदान रहा है।
- सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि FY 2020-2025 के बीच सरकार इंफ्रा सेक्टर में 102 लाख करोड़ का निवेश करेगी।
- सर्वे रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि अगले 3 साल में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 1.4 ट्रिलियन डॉलर यानी 100 लाख करोड़ के निवेश की जरुरत है ताकि इकोनॉमी की ग्रोथ में यह बाधा न बने।
- साल 2014 से ही महंगाई निरंतर घटती जा रही है। 2014-19 के दौरान अधिकतर आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों में उतार-चढ़ाव में उल्लेखनीय कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत की विशाल अर्थव्यवस्था की ग्रोथ के लिए एक कुशल बैंकिंग क्षेत्र की आवश्यकता है।
- आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार भारत को 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए व्यापार अनुकूल नीति को प्रोत्साहन देना अहम है। इसके साथ ही ‘एसेम्बल इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड’ को ‘मेक इन इंडिया’ से जोड़ने का सुझाव दिया गया है। इससे भारत के निर्यात बाजार का हिस्सा 2025 तक लगभग 3.5 प्रतिशत तथा 2030 तक 6 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
- सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि औद्योगिक क्षेत्र का प्रदर्शन वर्ष 2017-18 की तुलना में वर्ष 2018-19 में सुधरा है। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) द्वारा अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद के अनुसार वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में 8.2 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2019-20 की पहली छमाही (एच1) (अप्रैल-सितम्बर) में औद्योगिक क्षेत्र का सकल मूल्यवर्धन 1.6 प्रतिशत अधिक दर्ज किया गया।
- औद्योगिक क्षेत्र में कम वृद्धि की मुख्य वजह विनिर्माण क्षेत्र है, जिसमें वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में 0.2 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। सकल मूल्यवर्धन अर्थशास्त्र में, किसी भी क्षेत्र, उद्योग, अर्थव्यवस्था या व्यावसायिक क्षेत्र में उत्पादित माल व सेवाओं के मूल्य की माप है।
- औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में वर्ष 2017-18 में 4.4 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2018-19 में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। मौजूदा वर्ष 2019-20 (अप्रैल-नवम्बर) के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि में 5 फीसदी की तुलना में आईआईपी में महज 0.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- साल 2018-19 के दौरान भारतीय रेलवे ने 120 करोड़ टन माल ढुलाई की और यह चौथा सबसे बड़ा माल वाहक बना। इसी तरह रेलवे 840 करोड़ यात्रियों की बदौलत दुनिया का सबसे बड़ा यात्री वाहक बना है।
- मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यम दोपहर करीब 1.45 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आर्थिक सर्वे के बारे में विस्तार से बताएंगे।
- बीते साल सर्वे रिपोर्ट में बताया गया था कि जीडीपी की वृद्धि दर वर्ष 2017-18 में 7.2 फीसदी की जगह वर्ष 2018-19 में 6.8 फीसदी रही। वहीं अच्छी विनिर्माण और निर्माण गतिविधि के कारण 2018-19 में औद्योगिक वृद्धि में भी तेजी आई थी। साल 2017-18 में ये दर 5.9 फीसदी था जो 2018-19 में 6.9 फीसदी बताया गया था। राजकोषीय घाटा 2017-18 में जीडीपी के 3.5 फीसदी से घटकर 2018-19 में 3.4 फीसदी रह गया।
- साल 2019 के सर्वे रिपोर्ट की अनुसार भारतीय मुद्रा के संदर्भ में रुपये के अवमूल्यन के कारण जहां 2018-19 के दौरान निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई, वहीं आयात में कमी आई। एक साल पहले के मुकाबले विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ है। साल 2017-18 में विदेशी मुद्रा भंडार 424 बिलियन डॉलर था जो 2018-19 में 412.9 बिलियन डॉलर रह गया।
- बीते साल के आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 2018-19 में महंगाई की दर 3.4 फीसदी तक सीमित रही। सेवा क्षेत्र (निर्माण को छोड़कर) की वृद्धि दर 2017-18 के 8.1 फीसदी से मामूली रूप से गिरकर 2018-19 में 7.5 प्रतिशत पर आ गई। रिपोर्ट के अनुसार खाद्यान्न उत्पादन भी एक साल पहले की तुलना में कम हो गया। 2017-18 में उत्पादन 285 मिलियन टन रहा जो 2018-19 में 283.4 मिलियन टन रहने का अनुमान जताया गया।
क्या होता है आर्थिक सर्वे?
वित्त मंत्रालय की इस आधिकारिक सर्वे रिपोर्ट में देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखाजोखा होता है। आर्थिक सर्वे को वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार और उनकी टीम तैयार करती है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि बीते साल आर्थिक मोर्चे पर देश का क्या हाल रहा। इसके अलावा सर्वे रिपोर्ट में ये भी बताया जाता है कि अर्थव्यवस्था में किस तरह की संभावनाएं मौजूद हैं।
वित्त मंत्रालय की इस रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर देखी जा सकती है। आमतौर पर आर्थिक सर्वे के जरिए सरकार को अहम सुझाव दिए जाते हैं। इसकी सिफारिशें सरकार लागू करे, यह अनिवार्य नहीं होता है। देश में पहली बार आर्थिक सर्वे 1950-51 में जारी किया गया था और वित्त मंत्रालय की वेबसाइट पर 1957-58 से आगे के दस्तावेज भी मौजूद हैं।