चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान, पटना (CIMP) ने यूनिसेफ बिहार के सहयोग से “गर्मी और स्वास्थ्य: बिहार में जलवायु लचीलापन विकसित करना” विषय पर एक कार्यशाला का सफल आयोजन किया। यह कार्यक्रम बढ़ते तापमान और उससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर जागरूकता फैलाने पर केंद्रित था।

कार्यशाला की शुरुआत डॉ. सी. एन. प्रभु, BMSK, पटना के संबोधन से हुई। उन्होंने बताया कि कैसे BMSK ने बिहार को गर्मी के प्रति लचीला राज्य बनाने में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने किसानों और अन्य प्रभावित समुदायों के साथ मिलकर जागरूकता फैलाने और उन्हें गर्मी से निपटने की जानकारी देने की संस्था की पहल साझा की।
सत्र के दौरान ‘मौसम ऐप’ डाउनलोड करने की अहमियत बताई गई, जिससे लोग वास्तविक समय में मौसम की जानकारी और अगले पांच दिनों का पूर्वानुमान प्राप्त कर सकते हैं। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बिहार की हीट सर्विलांस प्रणाली को मजबूत बनाना था। प्रतिभागियों ने सैटेलाइट और फील्ड डेटा को मिलाकर जियो-इंटेलिजेंस की संभावनाओं पर चर्चा की। बच्चों पर गर्मी की लहरों के दुष्प्रभाव को लेकर भी चिंता जताई गई।
श्री एस. चंद्रशेखर, राज्य नोडल अधिकारी, DoEFCC, ने ‘जल जीवन हरियाली मिशन’ की भूमिका पर प्रकाश डाला, जो जल संरक्षण और हरित प्रयासों को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रहा है। उन्होंने विभिन्न विभागों द्वारा की जा रही समन्वित रणनीतियों को भी साझा किया जो जलवायु अनुकूलन के लिए आवश्यक हैं।
मुख्य अतिथि श्री पी. एन. राय, सदस्य, BSDMA, ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को उलटने में युवाओं की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने डेटा प्रबंधन की प्रभावशीलता और समय पर चेतावनी प्रणाली के वितरण की जरूरत को, खासकर बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में, रेखांकित किया।
प्रोफेसर सुनील कुमार, प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस, CIMP, ने बताया कि बिहार में हीटवेव का असर बहुत गंभीर है क्योंकि राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। उन्होंने इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव और MSME क्षेत्रों में रुकावटों के कारण आजीविका और आर्थिक स्थिरता पर पड़ने वाले असर को भी उजागर किया।
वक्ताओं ने वैश्विक स्तर पर जलवायु वित्तीय प्रतिबद्धता की कमी की ओर ध्यान आकर्षित किया और इस अंतर को पाटने की रणनीतियों पर चर्चा की। चर्चा में सूखा, फसल नुकसान जैसी चुनौतियों के बीच सामुदायिक लचीलापन को बढ़ाने की आवश्यकता को प्रमुखता दी गई। साथ ही, प्राकृतिक संसाधनों के एकीकृत प्रबंधन, बढ़ते एयर कंडीशनर के उपयोग और कृषि उत्पादकता पर इसके असर पर भी चर्चा हुई।
कार्यक्रम का समापन सामूहिक सहयोग और सामुदायिक भागीदारी की अहमियत को दोहराते हुए किया गया। डिजिटल समाधान जैसे इंद्रवज्र, बिहार मौसम ऐप और ‘सचेत’ जैसे प्लेटफॉर्म के उपयोग को बढ़ावा देने की बात कही गई ताकि बिहार में जलवायु लचीलापन को मजबूती मिल सके।
श्री कुमोद कुमार, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, CIMP ने उद्घाटन सत्र में सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। प्रोफेसर (डॉ.) राणा सिंह, निदेशक, CIMP ने सभी विशिष्ट अतिथियों को सम्मानित किया और बिहार में जलवायु लचीलापन मजबूत करने के लिए उनके योगदान की सराहना की।

