भारत के चंद्रयान-2 मिशन को शनिवार की सुबह उस समय झटका लगा, जब लैंडर विक्रम से चंद्रमा के सतह से महज दो किलोमीटर पहले इसरो का संपर्क टूट गया। इसके साथ ही 978 करोड़ रुपये लागत वाले चंद्रयान-2 मिशन के भविष्य पर सस्पेंस के बदल छा गये हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन ने संपर्क टूटने का ऐलान करते हुए कहा कि चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी पहले तक लैंडर का काम प्लानिंग के मुताबिक था। उन्होंने कहा कि उसके बाद उसका संपर्क टूट गया।
वैसे अभी सब खत्म नहीं हुआ है इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क केंद्र के स्क्रीन पर देखा गया कि विक्रम अपने तय रास्ते से थोड़ा हट गया और उसके बाद संपर्क टूट गया। लैंडर आराम से नीचे उतर रहा था। लैंडर ने सफलतापूर्वक अपना रफ ब्रेक्रिंग चरण पूरा किया और यह अच्छी स्पीड से सतह की ओर बढ़ रहा था। इसरो के एक वैज्ञानिक के मुताबिक, लैंडर का नियंत्रण उस समय समाप्त हो गया होगा, जब नीचे उतरते समय उसके थ्रस्टर्स को बंद किया गया होगा।
प्रधानमंत्री मोदी खुद इस ऐतिहासिक लम्हे को देखने के लिए इसरो के बेंगलुरु केंद्र में मौजूद थे। उनके साथ 60-70 स्कूली बच्चे भी थे जिन्होंने क्विज प्रतियोगिता के जरिए लैंडिंग का सीधा प्रसारण देखने का मौका हासिल किया। विक्रम लैंडर की कक्षा 35 किलोमीटर गुना 101 किलोमीटर की है। इसरो अधिकारियों में जहां उदासी का आलम है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा, ‘जब मिशन बड़ा होता है तो निराशा से पार पाने का हिम्मत होना चाहिए। मेरी तरफ से आप सभी को बहुत बधाई है. आपने देश की और मानव जाति की बड़ी सेवा की है।’
चंद्रयान में तीन प्रमुख हिस्से हैं- ऑर्बिटर (वजन 2,379 किलोग्राम, आठ पे लोड्स), लैंडर विक्रम (1,471 किलोग्राम, चार पे लोड्स) और एक रॉवर प्रज्ञान (27 किलोग्राम, दो पे लोड्स)।
